लखनऊ में मेरा उर्दू से रिश्ता जुड़ा है: राम नाईक
राज्यपाल ने ‘तेरा बयान गालिब’ का उद्घाटन किया
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज गन्ना संस्थान में उर्दू-हिंदी साहित्य अवार्ड समिति द्वारा आयोजित ‘तेरा बयान गालिब’ कार्यक्रम का दीप प्रज्जवलित कर उद्घाटन किया। कार्यक्रम में लखनऊ के महापौर डाॅ0 दिनेश शर्मा, पद्मश्री मुजफ्फर अली, अनीस अंसारी, अतहर नबी सहित बड़ी संख्या में मिर्जा गालिब के चाहने वाले उपस्थित थे। राज्यपाल ने इस अवसर पर सलीम आरिफ, जिन्होंने गालिब के खत पढे़ तथा गज़ल गायक जोड़ी सुश्री अमृता चटर्जी व श्री सुदीप बनर्जी को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया।
राज्यपाल ने कहा कि मिर्जा गालिब उर्दू के बडे़ शायर थे जिनके शेर आज भी लोग बडे़ उत्साह से पढ़ते एवं सुनते हैं। गालिब के बारे में कुछ बताना बिल्कुल वैसा ही है जैसे बनारस में रहने वालों को कोई दूसरा महादेव की विशेषता बताये। राज्यपाल बनने के बाद वे लेखक भी बन गये हैं और लखनऊ में उनका उर्दू से रिश्ता जुड़ा है। मराठी भाषा में प्रकाशित उनके संस्मरण संग्रह ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का उर्दू सहित हिंदी, अंग्रेजी और गुजराती भाषा में प्रकाशन हुआ है। उर्दू उत्तर प्रदेश की दूसरी भाषा है इसलिये उन्होंने अपनी पुस्तक का उर्दू अनुवाद भी प्रकाशित किया है।
श्री नाईक ने कहा कि उर्दू मीठी जुबान है जिसकी मिठास सुनते-सुनते पता चलती है। हिंदी के बाद देश में सबसे ज्यादा बोली और समझी जाने वाली भाषा उर्दू है। उर्दू के अनेक साहित्यकारों ने देश के साहित्य को समृद्ध किया है। भाषायें एक-दूसरे को जोड़ने का माध्यम होती हैं। उन्होंने कहा कि सभी भारतीय भाषाओं का बराबर से सम्मान होना चाहिए।
पद्मश्री मुजफ्फर अली ने कहा कि हम सब कला के सेवक हैं। हमारी कला में हमारी सभ्यता और हमारी संस्कृति की झलक मिलती है।
राज्यपाल ने इस अवसर पर अपनी पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का हिंदी संस्करण महापौर डाॅ0 दिनेश शर्मा को भेंट किया तथा पद्मश्री मुजफ्फर अली, अनीस अंसारी, अतहर नबी तथा निर्देशक सलीम आरिफ को उर्दू की प्रतियाँ भेंट की। सलीम आरिफ ने अपनी तरफ से हिंदी में रचित पुस्तक ‘तेरा बयान गालिब’ राज्यपाल को भेंट की। कार्यक्रम में सुश्री अमृता चटर्जी व सुदीप बनर्जी की जुगलबंदी ने गालिब की गज़ले प्रस्तुत की तथा सलीम आरिफ ने गालिब के खत पढ़कर सुनाये।