वास्तविक सूफीवाद को आम करेगा ऑल इंडिया सुन्नी उलेमा मशाइख बोर्ड
कानपुर: इस्लाम की पवित्र शिक्षाओं के द्वारा दुनिया में शांति व अमन के संदेश को आम करने और रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत को अपनाकर भटकी हुई मानवता को सीधे रास्ते पर लाकर ज़लालत व गुमराही के गहन गुफा से निकालकर नूरे इलाही से दिल को रौशन करने वाली हस्तियों जिन्हें दुनिया ‘‘सूफिया ए किराम’’ के नाम से जानती है उनके मिशन को कलंकित करने की कोशिश में कुछ स्वार्थी लोग प्रतिबद्ध हैं। औलिया अल्लाह और सूफिया ए किराम के मिशन को शुद्ध और असली हालत में बनाए रखने के लिये आज दिनांक 5 दिसम्बर को सभी सिलसिला ए सूफिवाद के मशाईख व उलमा और बुद्धिजीवियों की एक अहम बैठक हुई जिसमें मुल्क व मिल्लत के मौजूदा हालात पर विचार विमर्श के बाद निम्नलिखित कामों को करने और उम्मत को सीधे रास्ते पर मार्गदर्शन करने के लिए ऑल इंडिया सुन्नी उलमा मशाइख बोर्ड के स्थापना अमल में आयी। मौलाना नूरुद्दीन अहमद क़ासमी नक्शबंदी पहले अध्यक्ष और मौलाना अनवार अहमद जामई चिश्ती सरपरस्त बने। बैठक में हजरत अल्हाज मौलाना अनवार अहमद साहब जामई चिश्ती ने फरमाया कि उम्मत इस समय विकट परिस्थितियों में है, यहूदी शक्तियां और अराजक तत्वों द्वारा उम्मत में अराजकता पैदा करके कुरआन व सुन्नत और मशाईख एवं सूफीवाद की शिक्षाओं में परिवर्तन करके उम्मत को ज़लालत व गुमराही की गुफा में गिराना चाहते हैं। बोर्ड के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मौलाना नूरुद्दीन अहमद नक्शबंदी ने कहा कि आम लोगों के इस्लामी शिक्षाओं और बुजुर्गाने दीन और औलिया किराम की वास्तविक शिक्षाओं के प्रति जागरूकता की भावना देख कर उपद्रवी और स्वार्थी तत्व पूरी ताकत से बेहूदा आरोप और इल्ज़ाम तराशी पर उतर आए हैं इन परिस्थितियों में सही रास्ते पर चलने वाले लोगों की जिम्मेदारी है कि वह विशेषकर उम्मत और सम्पूर्ण मानवता के सामने इस्लाम की वास्तविक शिक्षाओं, औलिया किराम और इमामे रब्बानी हजरत शेख अब्दुल क़ादिर जिलानी रह0 और सुल्तानुल औलिया हजरत ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती अजमेरी रह0 की शिक्षाओं को घर घर और दर दर तक पहुँचाएँ। बोर्ड की स्थापना के उद्देश्यों से संबंधित मौलाना नूरुद्दीन अहमद नक्शबंदी ने कहा कि बोर्ड का उद्देश्य वास्तविक व सही सूफीवाद की रोशनी में उम्मत में एकता पैदा करना। किताब व सुन्नत और दामने औलिया अल्लाह से उम्मत के संबंध को मजबूत करना, सूफीवाद के नाम पर होने वाली अवधारणाओं आदि के हवाले से उलमा ए देवबन्द और आला हजरत फाज़िल बरेलवी रह0 की शिक्षाओं व फतावे को सार्वजनिक करना। सूफियों की शिक्षाओं की रोशनी में उम्मत के मार्गदर्शन की कोशिश करना। अल्लाह वालों की कब्र पर हाज़री के शिष्टाचार बताना और गलत रस्मों और बिदअतों से संबंधित आला हजरत के फतवों से लोगों को अवगत कराना। सूफीवाद के चारों सिलसिलें के मशाईख की सीरत विशेषकर मशाईखे चिश्त की पवित्र जीवनी के प्रकाश में पूरे आलम विशेषकर अपने देश में शांति के संदेश को आम करना है। बैठक में विशेष रूप से मौलाना असदउद्दीन बलरामपुरी, मुफ्ती सय्यद मुहम्मद उस्मान फतेहपुरी, मौलाना मुहम्मद शफी बस्तवी, मौलाना मुहम्मद अकरम संडीलवी , क़ारी अब्दुल मुईद चौधरी मेरठी, मौलाना मुहम्मद इज़हार पूर्णवी, मौलाना फरीदुद्दीन अत्तार, मौलाना मुहम्मद शोएब बांदवी, मौलाना मसूद अहमद संत कबीर नगरी, मौलाना मुहम्मद आमिर फर्रुखाबाद, हाफिज अब्दुल्ला कानपुरी, मुफ्ती मुहम्मद जफर फर्रुखाबाद, मौलाना अनस बांदवी, मौलाना अनीसुर्रहमा क़ासमी हरदोई सहित भारी संख्या में उलमा व बुद्धिजीवी मौजूद थे।