नबी अकरम की शिक्षाओं का पालन हर मुसलमान को करना चाहिए: मौलाना अनवार जामई
कानपुर। हजरत मुहम्मद स0अ0व0 की पैदाइश के अवसर पर जमीयत उलमा नगर कानपुर की अगुवाई में उठाये जाने वाला जुलूसे मुहम्मदी स0अ0व0 इंसानियत नवाज़ी की शिक्षा देते हुए और शांति का पैगाम पहुंचाते हुए 103 साल पूरा कर चुका है और 13 दिसंबर दिन मंगलवार को उठने वाला जुलूस 104 साल पूरे करेगा । इस जुलूस ने अपने एकता के पैग़ाम की बदौलत कानपुर को भी एक ऐतिहासिक शहर बना दिया है कि पूरे एक-सदी में जुलूस महमदी स0अ0व0 में कभी भी सांप्रदायिकता की हवा नहीं फैल सकी और शहर में एकता के जज़्बे को बढ़ावा देते हुए एक सौ तीन साल पूरे कर लिए। 1913 में निकाले जाने वाले इस जुलूस का पैगाम ही इंसानियत और एकता व मुहब्बत का बढ़ावा था। जमीयत उलमा कानपुर के पदाधिकारियों के बयानात जमीयत बिल्डिंग रजबी रोड में जमीयत उलमा कानपुर के अध्यक्ष मौलाना अनवार अहमद जामई की अध्यक्षता में होने वाली अंजुमनों की बैठक के दौरान हुए। मीटिंग में मौजूद आए अंजुमनों के जिम्मेदारों को संबोधित करते हुए जमीयत उलमा के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा क़ासमी ने कहा कि कुछ क्षेत्रों में नुक्कड़ सभा का आयोजन कर वहां के लोगों के सामने जुलूस की अक़ीदत व मुहब्बत को उजागर किया जाये तो उससे अच्छे परिणाम आयेंगे। जिससे जुलूस में आने वाली बाधाओं और परेशानियों से काफी हद तक निजात मिलने की संभावना है। चूंकि जिस मुहल्ले या क्षेत्र में जुलूस को परेशानी का अनुभव होता है इससे इससे मुहल्ले या क्षेत्र की छवि खराब होती और वहां के लोगों की बदनामी होती है, इसके लिए नुक्कड़ बैठकों का आयोजन किया जाये। मौलाना ने कहा कि नबी अकरम स0अ0व0 की शिक्षाओं का पालन करते हुए हर मुसलमान को चाहिए कि वह देशवासियों के सामने वह भूमिका पेश करें जिससे मालूम हो कि मुसलमान क्या है और इस्लाम क्या है? जमीयत के सदस्यों ने एक जुबान होकर जुलूस में उपयोग की जाने वाली छोटा हाथी ,लोडर गाड़ियों, डीजे और गैर-जरूरी लाउडस्पीकरों के उपयोग से परहेज किए जाने की अपील की।
इससे पहले सचिव मौलाना मुहम्मद अकरम जामई ने कहा कि हमारे लिए गर्व की बात है कि यह ऐतिहासिक जुलूस हर साल बेहतर से बेहतर हो रहा है, हम इसे और बेहतर बना सकें इसीलिए हम यहां एकत्र हुए हैं, मौलाना ने कहा कि सभी लोगों को चयनित नात जो पैगम्बर स0अ0व0 और सहाबा रजि0 की प्रशंसा वाली हों इस के साथ ही दुरूद व सलाम के नजारने पेश करते हुए चलना चाहिए। मौलाना अकरम ने कहा जुलूस के दौरान हमें नमाज का विशेष ख्याल रखना चाहिए। मीटिंग में आए मुहम्मद शोएब ने कहा कि जुलूस बेहद सम्मान के साथ निकालना हमारे लिए आवश्यक है। बांसमंडी के मुहम्मद आसिफ ने राय दी कि सभी अंजुमनों को अच्छी नातों की कैसेट को ही हल्की आवाज में बजाना चाहिए। मुहमद राजी ने कहा कि तलाक महल आदि में तड़के ही बैरीकेटिंग कराए जाने के साथ ही उसकी कड़ी निगरानी की जाए जिससे कि कोई डीजे वाली गाड़ी या अनावश्यक वाहन जुलूस के रास्ते में न आए इससे प्रबन्धन में कुछ दुरूस्तगी आने की संभावना हैं। हामिद अली अंसारी ने कहा कि हमारा उद्देश्य जुलूस का सम्मान बनाए रखना है इसके लिए हमें किसी पर जबरन दबाव न बना कर लोगों को प्यार से समझाना है, ताकि क्षेत्र के लोगों पर इसका अच्छा असर हो। सीविल डिफेंस के जीशान आलम ने बताया कि हम पूरी कोशिश करेंगे कि जुलूस पूरी तरह शांति से निकल सके इसके लिए हर तरह से सहयोग के लिए तैयार हैं।
उपाध्यक्ष डॉ हलीमुल्लाह खां ने बैठक का संचालन के साथ ही जुलूस के प्रबंधन मामलों के क्रियान्वयन के लिए जमीयत उलमा के सदस्यों और आम लोगों से सहयोग की अपील की, मौलाना नूरूद्दीन अहमद क़ासमी ने सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया । मीटिंग में मौलना शफी मज़ाहिरी , समी इक़बाल, लईक़ अहमद, जुनैद, माज अहमद, अहमद फारूक़ी़, मुहम्मद वसीम, मिर्ज़ा फहीम बेग़, क़ाजी अज़ीजुल्लाह, रियाज़ अहमद पप्पू, ज़फर अली, शाह अफीफुल्लाह, शफीक़ आलम, मुहम्मद अक़ील, मुहम्मद वासिफ, मुहम्मद सादिक़ मुहम्मद सालेह, महमूद आलम कुरैशी, हाजी मुहम्मद ताहिर, रईस अहमद कुरैशी, नौशाद अली, शारिक़ नवाब, हबीबुल्लाह अन्सारी के अलावा आए अन्य अंजुमनों के जिम्मेदार मौजूद रहे।