सर्वमान्य रास्ते के पक्षधर थे राजेन्द्र बाबू – राज्यपाल
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद मेमोरियल सोसायटी लखनऊ द्वारा लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में देश के प्रथम राष्ट्रपति डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद की 132वीं जयन्ती पर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद का व्यक्तित्व एवं कृतित्व किसी को भी प्रेरणा देने के लिए परिपूर्ण है। देश की स्वतंत्रता के पूर्व एवं आजादी के बाद डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद ने जिस प्रकार से काम किया वह अद्भुत है। महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह एवं सूत के माध्यम से आम लोगों से जुड़ने का प्रयास किया। स्वदेशी आंदोलन को कार्यान्वित करने की प्रेरणा को वहन करने वाले डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद का नाम अग्रणी है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी आंदोलन में राजेन्द्र बाबू ने शीर्ष नेतृत्व दिया।
जयन्ती समारोह में महापौर लखनऊ डाॅ0 दिनेश शर्मा, सोसायटी के अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री श्री नरेश चन्द्रा, कुलपति किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रो0 रविकान्त, कुलपति लखनऊ विश्वविद्यालय डाॅ0 एस0पी0 सिंह सहित स्वतंत्रता सेनानी व बड़ी संख्या में छात्र-छात्रायें भी उपस्थित थे।
राज्यपाल ने कहा कि बाबा साहब ने संविधान की रूपरेखा तैयार की और डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद ने अलग-अलग प्रकार के विषयों को विचार के उपरान्त संविधान में समाहित किया। राजेन्द्र बाबू ने बड़ी कुशलता से देश के संविधान निर्माण का दायित्व निभाया। उनकी कार्यप्रणाली सबको साथ लेकर चलने की थी। आज आवश्यकता इस बात की है कि भारत के प्रति उनके योगदान पर विचार करें और उससे प्रेरणा लेते हुए देश के लिए कुछ करने का संकल्प लें। ऐसे महापुरूषों के जन्मदिवस पर उनके दिखाये रास्ते पर चलकर ज्यादा से ज्यादा कार्य करके उन्हें आदरांजलि दें। उन्होंने कहा कि राजेन्द्र बाबू सर्वमान्य रास्ते के पक्षधर थे।
श्री नाईक ने कहा कि वंदे मातरम् के आधार पर देश में स्वतंत्रता आंदोलन चला था। वंदे मातरम् सबको चेतना देने वाला गीत है। संविधान समिति की चर्चा में भी इसकी चर्चा हुई थी। संसद में संविधान निर्माण में हुई डिबेट की लिखित प्रति उपलब्ध है। देश की आजादी के बाद भी 42 साल तक राष्ट्रगीत या राष्ट्रगान नहीं गाया जाता था। 1992 में सदन में मेरे प्रयास से इस पर चर्चा हुई। मेरा मानना था कि देश की सबसे बड़ी पंचायत में जब राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत गाया जायेगा तो पूरे देश को इससे प्रेरणा प्राप्त होगी। तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष की बैठक के बाद यह निर्णय हुआ कि सदन में पहले ‘जन-गण-मन’ गाया जायेगा तथा सदन का समापन ‘वंदे मातरम्’ से होगा। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात का समाधान है कि मेरे प्रयास से दोनों सदनों में राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान गाये जाने की परम्परा की शुरूआत 1992 में हुई।
महापौर डाॅ0 दिनेश शर्मा ने कहा कि डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद सादा जीवन उच्च विचार वाले व्यक्ति थे। अपने कृतित्व से उन्होंने देश के समक्ष कई उदाहरण प्रस्तुत किये। वे कार्य के प्रति समर्पित थे। उनके जीवन में अनेकों उतार-चढ़ाव भी आये। उनका मानना था कि स्वाद और विवाद से दूर रहने से जीवन सुखी रहता है। राजेन्द्र बाबू राष्ट्रीय भावना को सर्वोपरि मानते थे। उन्होंने कहा कि राजेन्द्र बाबू की आदर्शों का हमें अनुकरण करना चाहिए।
श्री नरेश चन्द्रा अध्यक्ष डाॅ0 राजेन्द्र प्रसाद मेमोरियल सोसायटी ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया तथा सोसायटी का संक्षिप्त परिचय दिया। कार्यक्रम में कुलपति किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रो0 रविकान्त, कुलपति लखनऊ विश्वविद्यालय डाॅ0 एस0पी0 सिंह सहित अन्य लोगों ने भी सम्बोधित किया।