पीएम मोदी ने ATM को लोहे का डिब्बा बना दिया: शिवपाल यादव
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि नोटबंदी के 20 दिन बीत जाने के बाद भी हालात अभी सुधरे नहीं है। बैंकों में तो लम्बी-लम्बी लाइनें अभी लगी ही हुई हैं, लोहे का डिब्बा एटीएम भी नोट उगलने में नाकाम सिद्ध हो रहा है।
शिवपाल सिंह यादव ने एक बयान जारी कर कहा कि नोटबंदी का ऐलान करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि दो दिन बाद एटीएम से भी लोगों को बड़े नोट मिलने लगेंगे लेकिन 20 दिन बीतने के बाद अभी तक भी हालात भयावह बने हुए हैं। लोहे के डिब्बे यानी एटीएम के बाहर कई-कई किलोमीटर तक लाईनें आज भी लगी देखी जा सकती हैं। लोग बेहद परेशान हैं। जल्दबाजी में लिये गये फैसले के कारण नये नोटों की छपाई उस गति से नहीं हो पा रही है जितनी देश के लोगों को आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि यदि प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का यह फैसला सोच समझकर लिया होता तो देश के लोगों को आज इतने बुरे दिन ना देखने पड़ते। श्री यादव ने कहा कि नयी करेंसी की कमी पूरा होने में करीब 6 माह से एक वर्ष तक का समय लगेगा। इस दौरान किसानों, गरीबों, मजदूरों और सभी देशवासियों को मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा। यह मुसीबतें देश के लोग भूल नहीं पायेंगे और चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को सबक सिखा देंगे।
श्री यादव ने कहा कि केन्द्र सरकार के एक तानाशाही और मनमाने फैसले ने देश के गरीब, मजदूर और असंगठित क्षेत्र से जुडे़ कामगारों का जीवन नारकीय बना दिया है। जहां एक ओर मजदूर काम न मिलने पर परेशान हैं वहीं कई घरों में चूल्हा तक नहीं जल पा रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के एकाएक बड़ी करेंसी बंद कर देने के फैसले से पूरा देश परेशान है। किसानों को नगदी ना होने के कारण खाद व बीज नहीं मिल पा रहा है। अधिकांशत 20 नवंबर तक ही रबी फसल की बुआई हो जाती है लेकिन इस साल खाद व बीज न खरीद पाने के कारण रबी की फसल खेतों में लग ही नहीं पाई है जिससे पैदावार नहीं होगी। शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि जब फसल ही नहीं होगी तो किसानों को उसका उपज मूल्य भी नहीं मिलेगा और उनके सामने भूखों मरने की सी स्थिति होगी। इसके अलावा आम जनता को भी फसल न होने पर बहुत ज्यादा मंहगाई का सामना करना पड़ेगा। उनके अनुसार कृषि कार्यों से जुड़े विशषज्ञों ने इस वर्ष 50 से 60 प्रतिशत तक फसल कम होने का अनुमान लगाया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को देश की जनता की फिक्र नहीं है। प्रधानमंत्री ने वास्तव में विदेशी बैंकों में जमा काला धन के मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए और वाह-वाही लूटने के चक्कर में जल्दबाजी में नोटबंदी लागू तो कर दी लेकिन इसके सभी पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया गया। इसका दूरगामी परिणाम बड़ा भयावह भी हो सकता है। भारतीय जनता पार्टी को चुनावों में इसका दुष्परिणाम भुगतना पड़ेगा।