बिस्मिल्लाह कहो या राम, ‘सलाम’ एक ही जगह पहुंचता है: मोरारी बापू
लखनऊ: किसी भी देश में धर्म कोई भी हो। कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म को माने। लेकिन यह होना चाहिए कि उस धर्म से लोगों का कल्याण हो। सलाम किसी के नाम से करो पहुंचता एक ही जगह है। चाहे बिस्मिल्लाह कहो या राम। यह विचार मंगलवार को राम कथा के चौथे दिन संत मोरारी बापू ने सीतापुर रोड स्थित
सेवा अस्पताल के प्रांगण में कही।
उनकी कथा में शिया धर्मगुरू कल्बे सादिक भी पहुंचे थे। मोरारी बापू ने धर्मगुरू और संतों की परिभाषा बताते हुए कहा कि धर्माचार्य कोई भी हो उसमें तीन लक्षण निर्भय, निष्पक्ष और निव्यय होने चाहिये। उन्होंने कथा की शुरुआत से पहले कहा कि कल्बे सादिक से सालों से उनका मोहब्ब्त का नातारहा है। उन्होंने आगे बढ़ाते हुए कहा कि एवरेस्ट पर चढ़ने के बाद कोई मंज़िल बाक़ी नहीं रहती।
इसको उन्होंने इन पंक्तियों मेरे राहबर मुझको गुमराह कर दे, सुना है कि मंज़िल क़रीब आ रही है। को कहकर समझाया। उन्होंने यह भी बताया कि महापुरुषों की भगवान राम के दर्शन के बाद कोई मंज़िल बाक़ी ही न रही। एक रात्रि में गौवधबंदी क्यूं नहीं हो सकती? मोरारी बापू ने वर्तमान में नोटबंदी के मुद्दे से जोड़ते हुए अपनी कथा में गौवध को रोके जाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि जैसे एक रात्रि में नोटेबंदी हो सकती है ऐसे ही एक रात्रि में गौवधबंदी क्यूं नहीं हो
सकती।
राम और हुसैन में फर्क नहीं
शिया धर्मगुरु कल्बे सादिक मंगलवार को संत मोरारी बापू की रामकथा दरबार में पहुंचे। यहां उन्होंने बापू का आशीर्वाद लिया। फिर सादिक ने कहा कि राम और हुसैन में कोई फर्क नहीं है। उन्होंने कहा कि आज लक नाऊ है। आज मेरा लक है कि मुझे आपके दरबार में आने का मौका मिला है। जब से मैंने गीता का अध्ययन किया है और हिन्दू धर्म के बारे में जाना है तब से मेरा हिन्दू धर्म के प्रति लगाव बढ़ता जा रहा है। इस्लाम को भी मैंने बहुत पढ़ा है। कोई भी धर्म कभी भी किसी के लिए मुसीबत नहीं बन सकता। उन्होंने कहा इमाम हुसैन को जब लोगों ने घेरा तो उन्होंने कहा था कि मुझे एक ही जगह ले चलो जिस देश का नाम भारत है। कल्बे सादिक ने कहा कि हमको इस देश ने 700 वर्षों से अपनी गोद में रखा है। लखनऊ में हम लोग 200 वर्ष से रह रहे हैं। यहाँ के लोगों से हमें कोई समस्या नहीं है। मैने बापू को अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 5 दिसम्बर को बुलाया है। कहा है कि वहां हुसैन कथा सुनाएँ।