इस्लामी शरीअत में जटिल समस्याओं का मार्गदर्शन भी मौजूद है: मौलाना उसामा कासमी
कानपुर :- कुल हिन्द इस्लामिक इल्मी अकादमी कानपुर की जामिया महमूदिया अशरफुल उलूम जामा मस्जिद अशरफाबाद में एक बैठक अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक उसामा कासमी की अध्यक्षता में आयोजित हुई जिसमें महासचिव मुफ्ती इकबाल अहमद कासमी ने कहा कि मुसलमानों के लिए ब्याज लेना जिस तरह हराम है इसी तरह देना भी हराम है। लेकिन सरकार की ओर से जो टैक्स, आयकर, सेल टैक्स और बिना कनेक्शन के वाटर टैक्स, हाउस टैक्स इनमें ब्याज राशि जो बैंक से प्राप्त हुई हो उन रकमों द्वारा अदायगी शरियत के अनुसार सही है। क्योंकि ब्याज की राशि का मूल आदेश है कि जहां से प्राप्त हुई है उसी को लौटा दिया जाए। इसलिए सरकार और बैंक से प्राप्त इन ब्याज की रकमों को सरकारी मांगों में जो मांग शरियत के अनुसार नहीं होना चाहिए इन मांगों में अदा कर सकते हैं, लेकिन बिजली के बिल का भुगतान या जलकर जबकि कनेक्शन मौजूद हो ऐसे करों में मुसलमानों के लिए ब्याज की राशि देना सही नहीं है।
इल्मी अकादमी के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक उसामा क़ासमी ने बैठक की जानकारी देते हुए कहा कि इस्लामी शरीअत ही पूरी शरीअत है, उसमें सामान्य समस्याओं के समाधान के साथ जटिल समस्याओं का मार्गदर्शन भी मौजूद है। उलमा की जिम्मेदारी है कि वह जनता को शरीअत के दायरे में रहकर आसानियां बताएं, दिक्कतों और उलझनों से उन्हें बचाएं। बैठक में मौलाना खलील अहमद मज़ाहिरी, मुफ्ती अब्दुर्रशीद कासमी, मौलाना साद नूर क़ासमी, मौलाना अनीस खां, मुफ्ती असदुद्दीन कासमी, मौलाना हिफ्जुर्रहमान कासमी, मौलाना इनामुल्लाह कासमी, मुफ्ती इज़हार मुकर्रम कासमी के अलावा अन्य उलमा किराम भी मौजूद रहे।