मौसमी इन्फ्लुएंजा के लिए दुनिया की पहला वायरस लाइक पार्टिकल वैक्सीन
सीपीएल बायोलॉजिकल्स प्राइवेट लिमिटेड कैडीला फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड और नोवावैक्स इंक. यूएसए की एक ज्वाइंट वेंचर कम्पनी है और यह भारत में पहली कम्पनी बन गई है, जिसने मौसमी सर्दी-जुकाम के लिए भारत में ही कैडीफ्लू-एस वैक्सीन विकसित किया है।
भारत सरकार के मेक इन इंडिया अभियान के तहत अहमदाबाद स्थित इस कम्पनी ने कैडीफ्लू-एस वैक्सीन जारी की है जो वायरस लाइक पार्टिकल (वीएलपी) तकनीक पर आधरित दुनिया की पहली इन्फ्लुएंजा वैक्सीन है।
कम्पनी ने इस वैक्सीन का निर्माण प्लांट गुजरात में अहमदाबाद के पास धोलका में स्थापित किया है। इसके लिए आरम्भ में 100 करोड रूपए का निवेश किया गया है। इस प्लांट में प्रतिवर्ष 25 मिलियन वैक्सीन डोज तैयार करने की क्षमता है।
कैडीफ्लू-एस में कोई वायरस नहीं है और यह बडी तकनीकी सफलता है, क्योंकि इससे वैक्सीन का इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति को वैक्सीन से किसी तरह का संक्रमण होने की सम्भावना पूरी तरह समाप्त हो गई है। अन्य वैक्सीन में मौजूद वायरस कई बार मानव के शरीर में ही बढ जाता है और इसके वैक्सीन से ही बीमारी हो जाती है। इसके अलावा वीएलपी तकनीक आधारित इस वैक्सीन में एग प्रोटीन्स, एंटीबायोटिक्स और प्रिजर्वेटिव्स भी नहीं है। यह उन लोगों के बडी राहत है जो वैक्सीन से होने वाली एलर्जी के शिकार हो सकते है।
कैडीला फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. राजीव मोदी ने इस वैक्सीन की लॉचिंग के मौके पर कहा कि कैडीफ्लू-एस की सफलता के आधार पर हम कई वैक्सीन और लॉंच करेंगे। इनमें से कई दुनिया में अपनी तरह के पहले वैक्सीन होंगे। इनमें नोवेल टेक्नोलॉजी प्लेटफार्म जैसे वीएलपी और नैनोपार्टिकल्स का इस्तेमाल किया जाएगा। वीएलपी तकनीक से हम काफी आगे हो गए, क्योंकि इससे विशेष स्ट्रेन के लिए वैक्सीन तैयार करने में 12-14 सप्ताह ही लगते है, जबकि सामान्य परम्परागत तैयार करने में 24-32 सप्ताह का समय लगता है। यदि भविष्य मे कोई जरूरत पडती है तो हम एच7एन9 जैसे पैनेडेमिक फ्लू वैक्सीन परम्परागत वैक्सीन के मुकाबले बहुत जल्दी तैयार कर सकते है।
नोवावैक्स इंक. के चेयरमैन डॉ. जेम्स एफ.यंग ने कहा कि हमने पूरे भारत के दस केन्द्रों पर तीसरे चरण के परीक्षण पूरे कर लिए हैं। इनमें इस मौसमी इन्फ्लुएंजा वीएलपी वैक्सीन की इम्युनोजैनिसिटी और सुरक्षा का परीक्षण किया गया है। कैडीफ्लू एस को भारत में जारी करने के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) की स्वीकृति मिल गई है। इसके अलावा रेबीज 3 डोज वैक्सीन, पैन्क्रिएटिक कैसर वैक्सीन, रेबीज सिंगल डोज वैक्सीन, हैपेटाइटिस ई वैक्सीन, वैरीसेला जोस्टर वायरस वैक्सीन और ह्यूमन पैपीलोमा वैक्सीन भी हम तैयार कर रहे हैं।
कैडीफ्लू का देश मे ही निर्माण होगा और इसलिए यह फ्लू जैसी बीमारियो के फैलने को रोकने के सरकार के प्रयासों के लिए बडी सहायता प्रदान करेगा। मौसमी वैक्सीन को हर साल लेना पडेगा, क्योंकि वायरस का रूप हर साल बदल जाता है। यह स्वस्थ्य व्यक्तियों बच्चों और वयस्कों को सर्दी-जुकाम से बचाएगा जो कई बार बहुत संक्रमण फैलाता है और गम्भीर बीमारी का कारण बन जाता है। मौसमी सर्दी जुकाम का वायरस फेफडों और श्वसन तंत्र के अन्य हिस्सों को प्रभावित करता है। जो लोग हृदय रोगों, डायबिटीज, मेलीटस, मेटोबोलिक डिजीज, रीनल फेल्योर और अस्थमा जैसी बीमारियों से पीडित हैं, उनमें रोगों की परेशानी बढने की जोखिम रहती है।
कैडीफ्लू-एस इन्फ्लुएंजा वायरस के कई इम्यूनोजेनिक प्रोटीन्स (एचए, एनए और एमआई एंटीजन्स) की जीन श्रृंखला को काम में ले कर इसे वायरस लाइक पार्टिकल वैक्सीन के रूप में विकसित किया गया है। रीकॉम्बीनेंट बैक्युलोवायरस आधारित वैक्सीन की हर डोज कैडीफ्लू-एस (0.5 एमएल) मे फ्लू वायरस के तीन स्ट्रेन्स है, जिनका नाम है ए/कैलीफोर्निया/7/2009 (एच1एन1) लाइक वायरस, ए/हांगकांग/4801/2014 (एच3एन2) लाइक वायरस और बी/ब्रिस्बेन/60/2008 लाइक वायरस। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फरवरी 2016 में 2016-17 उत्त्री हैमीस्फीयर इन्फ्लुंएजा सीजन में उपयोग के लिए इन्फ्लुएंजा वायरस वैक्सीन के कम्पोजिशन की सिफारिश की थी। भारत में इन्फ्लुएंजा वैक्सीन का मौजूदा बाजार 2-2.5 मिलियन डोज प्रति वर्ष है और यह लगातार बढ रहा है।
सीपीएल बायोलॉजिकल्स को सम्बन्धित नियामक संस्थाओं से कैडीफ्लू-एस वैक्सीन के व्यवसायिक उत्पादन की स्वीकृति मिल गई है। आने वाले वषों में कम्पनी भारत के अलावा मिडिल ईस्ट और साउथ ईस्ट एशिया के बाजारों में भी इसे ले जाएगी।