मोदी के चाबुक से खददरधारियों और भ्रष्टाचारियों में मचा हड़कम्प!
सुलतानपुर। मोदी के काले धन की सर्जिकल स्ट्राइक से काले धन रखने वाले कुबेरो के पसीने छूट रहे है। चुनाव लड़ने की आस पाले और कुछ अधिकारियों का
दिलो दिमाग सिर्फ व्हाइट मनी में लगा हुआ है। दावा किया जा रहा है कि यदि आयकर विभाग शिकंजा कसे तो कई जेल की सीखचों के पीछे सड़ जायेगें।
मोदी के सर्जिकल स्ट्राइक से जहां आम आदमी में हहाकार मचा हुआ है, वही काले धन के धन कुबेरो में भी हड़कम्प मचा हुआ है। चुनाव मंे पानी की तरह रूपया बहाने वाले कुछ खददरधारियों की तिकड़ी गुम हो गयी है। सूत्रों के मुताबिक विधानसभा चुनाव के लिए कुछ खददरधारियों ने अकूत सम्पत्ति इकटठा की थी। इसमें एक माननीय ऐसे भी है जो कभी बीपीएल कार्ड धारक हुआ करते थे। आज वही माननीय अरबों में खेल रहे है। ठेका पटटा में तो खुला कमीशन भी तय था। ऐसे मे अगर इनके और रिश्तेदारों की सम्पत्ति का ब्योरा जुटाया जाय तो जवाब किसी के पास नही मिलेगा। खैर अकूत सम्पत्ति रखने वालों का नाम भी उगलियों पर गिना जा सकता है। दूसरी तरफ सालों से जिले में डटे अधिकारियों का भी आस्तित्व खतरे में दिखायी दे रहा है। कुछ ऐसे अधिकारी है जो बेनामी सम्पत्ति को लेकर हमेशा चर्चा मंे रहते है। सूत्रों के मुताबिक एनएच 56 में रिट दायर की गयी है। इसमें आरोप लगा है कि कई अधिकारियों ने सेटिंग के बलबूते अकूत सम्पत्ति अर्जित कर रखी है। यहां भी जांच हुई तो कईयों की गर्दन फंसना तय माना जा रहा है।
रूपयों की अदला-बदली को लेकर जनता परेशान है। कुछ जगहो पर छोटी नोट के बदले काले धन को सफेद करने की कोशिस की जा रही है। समय नियत होने की वजह से कई सस्थानों में माल बिका दिखाकर रूपयों को बैलेंस किया जा रहा है।
पांच- हजार की नोट बंद होने के तुरन्त बाद सर्राफा व्यवसाइयों ने बेहिसाब सोने की बिक्री कर डाली। यह बिक्री अब इनके गले की फांस बनती दिख रही है। अब वह ना तो खरीदार का ब्योरा ले पाये है और न ही रूपयों का हिसाब बना पा रहे है। ऐसे में लालची दुकानदारों पर एक तरफ कुआ तो दूसरी तरफ खाई वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।