डेंगू से बचाव हेतु जन-जागरूकता अभियान चलाया जाए: अरूण कुमार सिन्हा
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने डंेगू और चिकुनगुनियां जैसे संक्रामक रोगों पर प्रभावी नियंत्रण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्रमुख सचिव, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की अध्यक्षता में तकनीकि सलाहकार समिति का गठन किया है। यह समिति इन रोगों के निवारण की व्यवस्थाओं को और सुदृढ़ करेगी तथा अस्पतालों में दवाइयों आदि की उपलब्धता भी सुनिश्चित करेगी।
प्रमुख सचिव, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण अरूण कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में आज यहां जनपथ सचिवालय स्थित सभागार में तकनीकी सलाहकार समिति की बैठक आहूत की गई । बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि महामारी रोग अधिनियम के तहत दिये गये निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। नागरिकों को इस रोग से निजात दिलाने के लिए उन्हें जागरूक किया जाए। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि भारत सरकार द्वारा इन रोगों के इलाज के लिए जारी दिशा-निर्देशों का हर स्तर पर अनुपालन सुनिश्चित हो। सूचना, शिक्षा एवं संचार के माध्यमों का बेहतर ढंग से उपयोग करते हुए इन रोगों से बचाव हेतु जन-जागरूकता पर विशेष बल दिया जाए। तकनीकी समिति के माध्यम से सरकारी एवं निजी चिकित्सकों तथा प्रयोगशालाओं के कर्मियों को प्रशिक्षण भी प्रदान कराया जाएगा।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि डेंगू की रोकथाम के लिए प्रभावी योजना तैयार की जाए और इसमें जन सहभागिता भी निश्चित की जाए। इसके साथ ही सभी विद्यालयोें में बच्चों को डेंगू की रोकथाम के उपायों के बारे में बताया जाए। मोबाइल पर एस0एम0एस0 के माध्यम से डेंगू से संबंधित रोग एवं इसके लक्षणों की जानकारी भी दी जाए और बताया जाए कि इस बीमारी से बिलकुल भी परेशान न हों। यदि उनके क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति बुखार से ग्रसित है, तो उसे सरकारी चिकित्सालय मंे भेजने के लिए प्रेरित किया जाए।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन से प्रमुख सचिव यह अनुरोध करेंगे कि जिस प्रकार पोलियो के उन्मूलन का कार्य प्रभावी रूप किया गया है, उसी प्रकार डेंगू पर नियंत्रण पाने के लिए शोध कार्य किया जाए, ताकि इस रोग को पूरी तरह से समाप्त जा सके।
प्रमुख सचिव ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि ब्लड कम्पोंनेंट सेपरेशन यूनिट की स्थापना में तेजी लाई जाए। उन्होंने कहा कि अस्पताल में भर्ती डेंगू मरीजों के लिए चिकित्सक तीन बार राउण्ड अवश्य करें, ताकि मरीजों में सरकारी चिकित्सा सुविधा के प्रति और अधिक विश्वास पैदा हो। मरीजों के ब्लड सैम्पल की जांच में अनावश्यक विलम्ब न किया जाए। यदि एक भी रोगी का रक्त नमूना लिया जाता है, तो उसका तत्काल एलाइजा टेस्ट किया जाए। उन्होंने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में 37 प्रयोगशालाएं क्रियाशील हैं। शीघ्र ही 15 प्रयोगशाएं और खोलने की कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने कहा कि सभी जनपदों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में डेंगू और चिकुनगुनियां रोगों पर नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए भी एक समिति का गठन किया गया है। यह समिति सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का प्रभावी रूप से अनुपालन सुनिश्चित कराएगी।
बैठक में सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य बी0 हेकाली झिमोमी, महानिदेशक सुनील श्रीवास्तव, अपर निदेशक संक्रामक रोग डा0 गीता यादव सहित चिकित्सा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।