दरियादिल मुख्यमंत्री फिर कर्मचारियों की समस्याएं बरकरारः हरिकिशोर
लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिशद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने आज मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा विधवा एवं तलाक शुदा महिलाओं को सरकारी नौकरी में उम्र की सीमा समाप्त करने के निर्णय को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री तो दरिया दिल है लेकिन प्रदेश के कर्मचारियों की अधिकत्तर समस्याएं जस की तस बनी हुई है। उन्होंने इसके लिए कुछ उच्चाधिकारियों को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि अगर उच्चाधिकारी कर्मचारियों की समस्याओं के बारे में मुख्यमंत्री जी से बॉत करे तो अधिकाधिक कर्मचारियों की समस्याओं का निस्तारण हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर स्वंय मुख्यमंत्री कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि मण्डल से मिलकर उनकी बाते और तथ्य देख ले तो एक घन्टे अन्दर कर्मचारियों की 80 प्रतिषत मांगों का निस्तारण हो सकता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी ने स्वंय सत्ता सम्हालने के साथ ही वायदा किया था कि कर्मचारियों की समस्याओं का हर स्तर पर समाधान कर दिया जाएगा लेकिन कुछ अधिकारियों ने इस मिशन पर अड़गा लगाया। इसके बावजूद जो मांगेे मुख्यमंत्री तक पहुची वे उनका निस्तारण किया जैसे राजकीय विभागो, स्वाषासी संस्थाओं, सार्वजनिक उपक्रमो, स्थानीय निकायों, प्राधिकरण के संविदा, दैनिक वैतन भोगी 31 दिसम्बर 2001 तक के कर्मचारियों ाके नियमित करने उन्हें हजारों कर्मचारियों का भविष्य बना दिया। इसी तरह मकान किराया भत्ता बीस प्रतिशत बढ़ाकर एक बड़ी राहत दी। चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के वेतनमान के ठहराव को देखते हुए उन्हें 18सौ ग्रेड पे की जगह 19 सौ ग्रेड पे दिया। ई पेंशन सुविधा देकर सेवानिवृत्त कर्मचारियों को राहत दी।
परिषद् के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने बताया कि षासन व राज्य कर्मचारी संयुक्त परिशद,उ.प्र. के बीच हुए समझौते, लगभग दो दर्जन से अधिक जारी की गई कार्यवृत्ति के अलावा वर्ष 2013 में की गई 11 दिनों की महाहड़ताल के उपरान्त न्यायालय में दिए गए शपथ पत्र के बाद भी सरकार द्वारा मांगों की प्रतिपूर्ति नही की गई है। अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने बताया कि हड़ताल के दौरानउच्च न्यायालय के हस्तक्षेप पर राज्य सरकार ने इन चार बिन्दुओं पर प्रतिशपथ पत्र दाखिल कर मांगों की प्रतिपूर्ति एक माह के अन्दर करने का निर्णय किया था। पहली मांग सभी राज्य कर्मचारियों को कैश लेस इलाज की थी लेकिन इसे देने के लिए अभी तक त्वरित गति से कार्रवाई नही की गई।
सफाई कर्मियों को प्रधानों से मुक्त कर प्रोन्नतियों का रास्ता खोला जायेगा। इस पर अभी तक कोई आदेश नही हुआ। नायब तहसीलदार के पदो पर राजस्व संग्रह अमीनों की सीधे प्रोन्नति मांग पर भी अब तक सटीक फैसला नही लिया गया। उन्होंने यह भी बताया कि कई मांगों पर सहमति होने के बावजूद आदेश नही जारी किए गए जैसे पूर्व में की गई सेवाओं यथा तदर्थ अंषदायी, सामयिक, वर्कचार्ज, दैनिक वेतन, अतिथि वक्ताओं की अवधि को जोड़कर पेंशन का लाभ प्रदान किया जाये। पेंशन पूर्व की भॉति जिस विभाग का कर्मचारी हो उसी विभाग से स्वीकृत की जाए। संवर्ग के मूल वेतन का अगला ग्रेड वेतन प्रत्येक संवर्ग के लिए इग्नोर किया जाये। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पदो को मृत संवर्ग से हटाकर पुर्नजीवित किया जाए तथा गु्रप डी की बन्द भर्तियों से रोक हटाई जाए। नई पेंशन व्यवस्था को समाप्त करते हुए पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल की जाए। रिटायर होने पर भुगतान सुनिश्चित किया जाए। जमा धन हानि/लाभ के साथ घोषित किया जाए।राज्य कर्मचारियों को 8,16,20 वर्षों की कुल सेवा के आधार पर तीन पदोन्नति पद का ग्रेड वेतन दिया जाए। फील्ड कर्मचारी पूरे दिन मोटर साइकिलों से सरकारी कार्य करते है उन्हें कार्य के अनुपात में मोटर साइकिल भत्ता दिया जाए।