डॉ अहसन रिजवी की शायरी दिलों को छूती हैः उदय प्रताप सिंह
हिन्दी संस्थान में नए काव्य संग्रह ‘‘ अहसास’’ का विमोचन
लखनऊ-एक कलमकार वह कवि हो या अदीब बहुत संवेदनशील और दूरगामी होता है, अगर वह कलमकार कला के साथ साथ अन्य विषयों विशेषकर विज्ञान का विशेषज्ञ भी हो तो उसके साहित्य में अधिक परिपक्वता, तथ्यों की स्पष्टता होती है जोकि मानव मन को पूरी तरह प्रभावित करती है। प्रोफेसर अहसन रिजवी की कविता इसी श्रेणी में आती है। वे विज्ञान के प्रोफेसर हैं। अनुसंधान उनका विशेष विषय और काम रहा है, इसी बीच उन्होंने साहित्यिक सेवाओं में भी कार्य किया, गजल के गेसू संवारे, भाषा के विकास के भी पूरी तरह व्यस्त रहे। शिक्षण सेवाओं के साथ साथ साहित्यिक शौक को पूरा करते हुए खामोश सेवा करते रहे।
यह विचार मंगलवार को वक्ताओं ने प्रसिद्ध वैज्ञानिक, कवि और अदीब प्रोफेसर अहसन रिजवी के नये काव्य संग्रह ‘‘ एहसास’’ के विमोचन समारोह में व्यक्त किये। हिंदी संस्थान के मुंशी प्रेमचंद सभागार में हुए समारोह की अध्यक्षता प्रोफेसर शारिब रूदौलवी ने की और बतौर मुख्य अतिथि हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष प्रोफेसर उदय प्रताप सिंह ने भाग लिया।
अदबी संस्था ‘‘ दायरा-ए-कोशिश’’ के तहत हुए समारोह में संस्था के संस्थापक और अध्यक्ष डॉ0 ए एस नारायण लखनवी ने डॉ अहसन रिजवी की वैज्ञानिक और शिक्षण यात्रा व सेवाओं पर प्रकाश डाला, जबकि डॉ0 जय राज बिहारी ने प्रो0 अहसन रिज़वी की साहित्यिक यात्रा खिदमात पर प्रतिक्रिया व्यक्त की। इस मौके पर प्रोफेसर फज़़ले इमाम रिजवी ने प्रो0 अहसन रिज़वी की साहित्यिक सेवाओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि डॉक्टर अहसन रिजवी को शेर व शायरी विरासत में मिली, उनके पिता मोहसिन रिजवी खैराबादी अपने समय के एक प्रामाणिक शायर थे, डॉ अहसन रिजवी ने शुरुआती दौर में अपने पिता से ही शायरी का फन सीखा।
इस अवसर पर प्रोफेसर अहसन रिजवी ने अपनी साहित्यिक यात्रा पर प्रकाश डालते हुए देश के उत्तर से दक्षिण तक शिक्षण सेवाओं और साहित्यिक संबंधों का वर्णन किया तथा अपना कलाम भी सुनाया।
इस अवसर पर प्रो0 उदय प्रताप सिंह ने डॉ अहसन रिजवी के कलाम और उसके देवनागरी संस्करण की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी शायरी दिलों को छूती है। आज जरूरत इस बात की है कि उर्दू की अदबी कृतियों को हिंदी, देवनागरी में भी पेश किया जाए ताकि जो लोग उर्दू लिपि से परिचित नहीं हैं वे भी इसे पढ़कर समझ और फायदा उठा सकें। तथा हिंदी की मानक साहित्यिक कृतियों का उर्दू भी अनुवाद होना चाहिए।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे डॉक्टर शारब रूदौलवी ने प्रोफेसर अहसन रिजवी से अपने संबंध को बयान करते हुए उनकी साहित्यिक, सामाजिक, भाषाई, शैक्षिक सेवाओं पर विस्तार प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डॉक्टर अहसन रिजवी आधी सदी से अधिक समय से इन चारों क्षेत्रों में सक्रिय हैं। वह रेडियो, टीवी के साहित्यिक कार्यक्रमों में भी लगातार शरीक होते हैं। उनकी रचनाएं देश विदेश की सहित्यिक पत्रिकाओं में बराबर प्रकाशित होती रही हैं। इससे पहले समारोह का शुभारंभ करते हुए संस्था के सदस्यों ं ने मेहमानों का स्वागत किया। समारोह का संचालन पत्रकार मोहम्मद गुफरान नसीम ने किया। समारोह में शाहनवाज कुरैशी, शकील सिद्दीकी, आदि ने भी विचार व्यक्त किये। ेइस अवसर पर उर्दू, हिंदी के लेखक, कवि, और कलमारों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। अंत में समारोह के संयोजक डॉ। ए एस नारायण लखनवी ने मेहमानों का धन्यवाद अदा किया। समारोह के समापन पर मशहूर गज़ल गायक केवल कुमार में प्रो0 अहसन रिज़वी की ग़ज़ले भी पेश कीं।