चाचा शिवपाल को सीएम अखिलेश ने बर्खास्त किया
गायत्री, शादाब फातिमा और ॐ प्रकाश सिंह बर्खास्त
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में जारी झगड़े के बीच अब पार्टी के टूटने की आशंका जोर पकड़ती दिख रही है. नाराज चल रहे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव और गायत्री प्रजापति सहित चार मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया है. इन दोनों के साथ मंत्री पद गंवाने वालों में शादाब फातिमा और ओम प्रकाश सिंह शामिल हैं. अखिलेश ने अपने समर्थक विधायकों और मंत्रियों के साथ बैठक में यह फैसला लिया.
अखिलेश यादव ने कुछ दिनों पहले भी चाचा शिवपाल यादव को लोकनिर्माण मंत्रालय (पीडब्लयूडी) से हटा दिया था, जबकि गायत्री प्रजापति से खनन मंत्रालय छीनते हुए उन्हें कैबिनेट से बेदखल कर दिया था. हालांकि बाद में पिता मुलायम की नाराजगी के बाद अखिलेश ने कदम वापस खींचते हुए इन दोनों को वापस बहाल कर दिया था.
इससे पहले पार्टी महासचिव और अखिलेश के करीबी रामगोपाल यादव ने कार्यकर्ताओं को चिट्ठी लिखकर अखिलेश विरोधियों पर निशाना साधा है. रामगोपाल ने लिखा है कि अखिलेश को हराने की साज़िश हो रही है. मध्यस्थता करने वाले लोग गुमराह कर रहे हैं. सुलह की कोशिश अखिलेश की यात्रा रोकने की साज़िश है, क्योंकि अखिलेश की यात्रा विरोधियों के गले की फांस बन गई है.
रामगोपाल ने अपनी चिट्ठी में समर्थकों और कार्यकर्ताओं से अखिलेश के साथ एकजुट होने की अपील की है. इसके साथ ही उन्होंने 'जहां अखिलेश, वहीं जीत' का नारा भी दिया है. मुंबई में पत्रकारों ने जब रामगोपाल से इस बाबत सवाल पूछा तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.
सूत्रों के मुताबिक, नाराज चल रहे अखिलेश यादव ने कहा है कि मुलायम सिंह यादव पहले अमर सिंह के साथ नाता तोड़ें, तभी हालात सामान्य होंगे. समाजवादी पार्टी के पांच वरिष्ठ नेताओं नरेश अग्रवाल, बेनी प्रसाद वर्मा, रेवती रमन सिंह, माता प्रसाद और किरनमोय नंदा के साथ हुई बैठक में अखिलेश ने ये बातें कहीं.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में यादव परिवार के झगड़े में बीच-बचाव के लिए आगे आए समाजवादी पार्टी के ये वरिष्ठ नेता अखिलेश का यह पैगाम देने के लिए आज सुबह साढ़े दस बजे मुलायम सिंह से फिर मिलेंगे. इससे पहले शनिवार को भी उन्होंने सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और शिवपाल सिंह के साथ मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद बेनी प्रसाद वर्मा ने कहा कि चुनाव में बहुत कम वक्त बचा है, ऐसे में परिवार में मौजूदा मतभेद जल्द खत्म हो जाना चाहिए.
इससे पहले शनिवार को ही लखनऊ में समाजवादी पार्टी के दफ़्तर में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक हुई, जिसमें ना तो अखिलेश यादव और ना ही मुलायम सिंह यादव शामिल हुए थे. इस बीच सपा के विधान परिषद् सदस्य और अखिलेश के नजदीकी उदयवीर सिंह को ‘अशिष्ट’ व्यवहार के लिए शनिवार को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. कुछ दिनों पहले उन्होंने मुलायम को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने का सुझाव दिया था. शुक्रवार को ही खबर आई थी अखिलेश के करीबी माने जेने वाले उदयवीर सिंह ने मुलायम को चिट्ठी लिखकर अखिलेश और मुलायम के बीच मतभेदों के पीछे अखिलेश की सौतेली मां साधना गुप्ता को ज़िम्मेदार ठहराया था.
वहीं यादव कुनबे में जारी अंतर्कलह पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि ‘अभी तक संवैधानिक संकट नहीं है’ लेकिन स्पष्ट किया कि अगर हस्तक्षेप करने की स्थिति बनती है तो ‘कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी’. सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव, उनके बेटे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और भाई तथा राज्य इकाई के अध्यक्ष शिवपाल यादव के बीच चल रहे तनाव को लेकर राज्यपाल सवालों का जवाब दे रहे थे. मुलायम परिवार के बीच पिछले कुछ समय से तनाव बना हुआ है और पार्टी के अंदर विभाजन की संभावना है.