तीन तलाक को संविधान और सभ्यता के खिलाफ: वेंकैया नायडू
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने तीन तलाक को संविधान और सभ्यता के खिलाफ बताया है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब देश को न्याय, प्रतिष्ठा और समानता की सहायता से इस लैंगिक भेदभाव को समाप्त कर देना चाहिए। आपको बता दें कि 7 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने पहली बार सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिमों में प्रचलित एक साथ तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह प्रथा का विरोध किया था।
केंद्र सरकार ने समानता एवं धर्मनिरपेक्षता के आधार पर इन प्रथाओं की समीक्षा की हिमायत की थी। सरकार के रूख को दोहराते हुए नायडू ने शनिवार को कहा, "एक साथ तीन तलाक संविधान, कानून, लोकतंत्र के सिद्धांतों और सभ्यता के खिलाफ है। इस तरह के विचार पैदा हो रहे हैं। इस विषय पर बहस हो रही है। पहले ही बहुत अधिक समय बीत चुका है। ऐसे में समय आ गया है जब देश को आगे बढ़कर भेदभाव खत्म करने और लैंगिक न्याय और समानता लाने के लिए एक साथ तीन तलाक को समाप्त कर देना चाहिए। हम लोगों को इसे खत्म करना चाहिए।"
उन्होंने कहा, यहां तक कि मुस्लिम महिलाएं भी समानता की मांग कर रही हैं। किसी तरह का लैंगिक भेदभाव नहीं होना चाहिए। लैंगिक न्याय होना चाहिए और संविधान के समक्ष सभी बराबर हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट अभी इस मुददे की छानबीन कर रहा है। ऐसे में कोई भी जा सकता और अपनी चिंता को रख सकता है। समान नागरिक संहिता के मुददे पर उन्होंने कहा, सरकार पारदर्शी तरीके से सबकुछ करेगी। वह इस मुददे पर संसद को विश्वास में लेगी। कुछ वर्ग दुष्प्रचार कर रहे हैं कि सरकार पिछले दरवाजे से समान नागरिक संहिता को लागू करने का प्रयास कर रही है।