रियल सिंघम साबित हो रहे हैं एसपी पवन कुमार
आसिफ मिर्ज़ा
लखनऊ। एसपी पवन कुमार खासे चर्चाओं मे रहे है। सुल्तानपुर में माफियाओं और नेताओं पर उन्होंने ऐसा शिकंजा कसा कि नेतागिरी झाडने वाले सत्ताधारी पक्ष के लोग भी चुपचाप बैठ गये। उनके काम को देखते हुए प्रदेश सरकार ने उनकी जबरदस्त काबिलयत पर भरोसा करते हुए इनके तबादले पर विराम लगा दिया है । कोइरिपुर में व्यापारियो की हत्या और उनसे वसूली ने उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया था। उसके बाद दुर्दांत अपराधी मुलायम यादव समेत कई अधिकारियो की गिरफ़्तारी लिए सराहना हुई। अनुमान लगाया जा रहा है सुल्तानपुर मेंआगामी विधानसभा चुनाव एसएसपी पवन कुमार की देखरेख में ही होगा।
युवा आईपीएस अधिकारी पवन कुमार की प्रशासनिक कार्यक्षमता ने सबको आकर्षित किया है। आईपीएस पवन कुमार मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले हैं। बतौर एसपी कुमार ने स्थानीय नेतागिरी पर जमकर नकेल कसी है। वहीं जब फैयाज कथित हत्या के मामले में सुलतानपुर जल रहा था, तब पवन कुमार को जिले की जिम्मेवारी चुनौती थी। लेकिन जिला पंचायत चुनाव के दौरान उन्होंने पार्टी विशेष के नेता की मदद के बजाय निस्पक्ष कराया। जिले में उनके रहते हुए भ्रष्ट राजनीतिज्ञ और माफिया खुद को विकलांग महसूस करने लगे है। यहां सपा नेताओं की गाड़ियों पर लगी फर्जी लाल बत्तियां और हूटर उतरवाने के लिए एसएसपी पवन कुमार को खासी वाहवाही मिली। इससे पहले पवन एसटीएफ में भी बतौर एसपी काम कर चुके हैं। लंबे कद काठी और छोटे हेयर स्टाईल वाले एसएसपी पवन कुमार के विषय में बताया जाता है कि यूपी में जातिआधार पर होने वाली प्रशासनिक पोस्टिंग में वे किसी तरह फिट नहीं बैठते। एसएसपी पवन कुमार की छवि एक निष्पक्ष और ईमानदार अधिकारी की है और उनकी एक सबसे बड़ी खासियत यह कही जाती है कि वे सुनते सबकी हैं, लेकिन सबकी मानते नहीं हैं। यानी किसी भी राजनैतिक दबाव में उन्हें काम करने की आदत ही नहीं है, यही वजह है कि उनका तबादला बहुत जल्द होता रहता है। लेकिन इससे उनकी कर्तव्यनिष्ठा को एक पहचान मिली है। उसकी सबसे बड़ी वजह है प्रशासनिक दायरे में रहकर ठोस तथ्यों के आधार पर काम करने की उनकी कार्यशैली। एसटीएफ में रहकर अपराधियों के छक्के छुडाने वाले पवन कुमार को क्राइम कंट्रोल का मास्टर माना जाता है। कई जिलो में पुलिस अधीक्षक रह चुके हैं। उनके बारे में एक रोचक बात यह भी है, कि वे लापरवाही पसंद नहीं करते हैं। यहाँ तैनाती के दौरान लापरवाह एसओ को उनके द्वारा जमकर सबक सिखाया गया। इसी के कारण जिस जिले में भी उनकी तैनाती होती है, वहां पुलसिंग खुद व खुद सुधर जाती है। इसी शैली की वजह से जहा आम लोग खुश् है वही कुछ खद्दरधारी नाराज भी है। सूत्रो के मुताबिक तबादले के लिये कुछ माननीयो ने मुख्यमंत्री के यहाँ दुखड़ा रोते हुए तबादले की गुहार लगाई थी। लेकिन उनके मेहनत के नतीजे सिफर हुए।