देश संभालिए शरीयत के पीछे न पड़िये: मौलाना उसामा क़ासमी
कानपुर :- केंद्र सरकार की महिलाओं के साथ सहानुभूति तो केवल दिखावा है क्योंकि अगर सरकार को महिलाओं से सहानुभूति होती तो वे समान नागरिक संहिता और तीन तलाक के बजाय पत्नियों की हत्या के कारणों और इसके उपाय के लिये प्रयास करती। आए दिन अखबार व टी0वी0 चैनल पर यह खबर आती रहती है कि फलां जगह पति ने अपनी पत्नी की हत्या कर दिया या जलाकर मार दिया। कम उम्र बच्चियों का बलात्कार और सामूहिक बलात्कार जैसी जघन्य घटनाएं होती रहती हैं जिसमें कमी के बजाय दिनोंदिन बढ़ोत्तरी होती जा रही है। इसी तरह के कई ज्वलंत मुद्दे हैं जिन्हें हल करने में सरकार विफल है। अपनी असफलताओं पर पर्दा डालने के लिए बेवजह शरियत और मुसलमानों के पीछे न पड़े इससे देश का कोई भला होने वाला नहीं है। उक्त विचार जमीअत उलमा के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक उसामा कासमी ने देश में समान नागरिक संहिता व तीन तलाक के संबंध में हो रही तैयारियों संदर्भ में किया।
मौलाना उसामा कासमी ने कहा कि देश की मौजूदा केंद्र सरकार और कुछ असामाजिक स्वार्थी संगठन जिन्हें एकता, सद्भावना और शांतिप्रिय माहौल से दुश्मनी है जो देशभक्ति का दावा करते हैं लेकिन देश की जड़ों में मट्ठा डालने का काम करते रहते हैं। देश में शांति बनाए रखना सरकार की जिम्मेदारी होती है। इस समय केंद्र सरकार अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिये नित नए हथकंडे अपना रही है, देश की जनता का ध्यान समान नागरिक संहिता और तीन तलाक की समस्याओं की ओर मोड़ कर भारत में असंतोषजनक स्थिति पैदा करना चाहती है, क्योंकि उन्हें पता है कि मुस्लिम पर्सनल ला में हस्तक्षेप मुसलमान कभी भी बर्दाश्त नहीं करेंगे, अगर सरकार को महिलाओं से वास्तविक सहानुभूति है तो वह पहले उन कारणों का पता लगाएं जिससे पति अपनी पत्नी की हत्या कर देते हैं। अभी हाल ही में कानपुर में 10 अक्टूबर को प्रतिभा गौतम नाम की जज को उसके पति मनु अभिषेक पर उसकी हत्या करने का आरोप है, जिसके शरीर में लगभग 20 स्थानों पर गंभीर गहरी चोटें मिलने का भी खुलासा हुआ। इसी तरह हाल ही में दिल्ली के कबड्डी खिलाड़ी की पत्नी जिसे मरने से पहले अपने आडियो रिकॉर्डिंग के बयान में भी बहुत ही बेबसी जताई। इसी तरह 2014 में कानपुर के दो बड़े व्यापारी घरानों से संबंधित पत्नियों का मामला भी सामने आया था जिसमें पति ने अपनी पत्नी ज्योति की हत्या कर दी थी, जिसके आरोप में वह आज भी जेल में है। इसी तरह हाई प्रोफाइल हत्या के कई मामले पेश आए। जिस पर लोगों ने ध्यान दिया। वर्ना ऐसी अनगिनत घटनाएं है जो एक दिन खबरों में आने के बाद लोगों के जे़हन से निकल जाती हैं, 28 जून को कपूरथला के गांव टोडरवाल में मायके रह रही पत्नी संदीप कौर को पति लखविंदर सिंह बिट्टू ने फोन करके बुलाया और हत्या कर दी। 22 जून बड़ोक गांव लोहार में एक पूर्व सैनिक ने अपनी 45 वर्षीय पत्नी को केवल संदेह के आधार पर हत्या कर दी , 9 अक्टूबर को जगदीशपुर में एक पति ने अपनी पत्नी को पीट-पीटकर मार डाला। 22 सितंबर को पटियाला के घनोंर शहर के एक गांव में सुरेश रानी अपने पति प्रवीण ने हत्या कर दी। इसी तरह के कई मामले हैं जिससे लोग परिचित ही नहीं। पत्नियों को मारने का यह रुझान और मासूम बच्चियों के साथ दरिंदगी व लड़कियों का सामूहिक बलात्कार मानवता और देश के लिए कलंक है। लेकिन सरकारों की इस ओर कोई ध्यान नहीं और ऐसी घटनाओं को घटित होने से रोकने के लिए सरकार के पास कोई ठोस रणनीति नहीं है। मौलाना ने कहा कि सरकार देश को संभाले, ऐसी घटनाओं पर नियंत्रण करे, बेवजह शरियत के पीछे न पड़े। सरकार और असामाजिक संगठनों के व्यवहार से देश तेजी से गृहयुद्ध की ओर जा रहा है। मौलाना ने कहा कि इस्लाम ने तलाक की प्रक्रिया को बेहद नापसंदीदा करार दिया है, लेकिन यह अनुमति इसलिए दी गई है कि कई मामलों में उसके बिना चारा नहीं रहता और जीवन साथी एक साथ नहीं रह सकते। वर्तमान समाज के संदर्भ में अगर देखा जाए तो तलाक एक तरह का वरदान है कि यह बड़े पाप यानी हत्या और खून-खराबा हाने से रोकती है। मौलाना ने कहा कि कोई भी रिश्ता सहनशक्ति के बिना स्थापित नहीं रह सकता है, विशेष रूप से पति-पत्नी के रिश्ते में इसकी सख्त जरूरत है। दोनों को याद रखना चाहिए कि वह एक अलग पृष्ठभूमि रखते हैं। अपनी अपनी आदतें, खामियां व खूबियाँ हैं। शादी के रिश्ते को उम्र भर बनाए रखने के लिए दोनों ओर से सकारात्मक प्रयास होना चाहिए। अगर एक सहन करता रहे और इसके विपरीत दूसरा असहनशील रहे तो जीवन रूपी यह गाड़ी अधिक दिनों तक नहीं चलती, पति और पत्नी के अधिकारों के बारे में इस्लाम ने जो शिक्षा दी हैं इसे पढ़ना चाहिए और उसके अनुसार कार्य करना चाहिए इस्लामी शिक्षाओं में कहीं भी झोल नहीं है, तथाकथित बुद्धिजीवी जिसमें खुद कुछ मुस्लिम बुद्धिजीवी भी शामिल हैं वे इस्लाम का गहराई से अध्ययन किए बिना टिप्पणी शुरू कर देते हैं, यह बहुत ही अन्याय की बात है कि बिना पूरी तरह समझे किसी के बारे में अपनी राय व्यक्त करें। इस्लाम के नियमों तलाक, खुला, विरासत जैसे पारिवारिक समस्याओं पर विस्तृत अध्ययन करने की जरूरत है विशेषकर तलाक के प्रकार तलाक रजई, बाइन, मुग़ल्लिज़ह के संबंध में जानकारी प्राप्त करें। मौलाना ने कहा कि तलाक के दुरुपयोग के बारे में जागरूकता की सख्त जरूरत है।