जीएसटी एक चुनौती जिसे कॉस्ट अकाउंटेंट ही समझा सकेगा: राकेश सिंह
हैदराबाद। जीएसटी बिल से ना सिर्फ़ व्यापारियों और ग्राहकों को भारी राहत मिलने वाली है बल्कि इससे कॉस्ट अकाउंटेंट के लिए कार्य में वृद्धि होगी। यह बात आज इंस्टिच्यूट ऑफ़ कॉस्ट अकाउंटेंट संस्थान के पूर्व अध्यक्ष राकेश सिंह ने हैदराबाद में पत्रकारों से कही।
राकेश सिंह ने बताया कि जीएसटी बिल के बाद दरअसल भारत में लागत खातादारों यानी कॉस्ट अकाउंटेंट का कार्य बढ़ जाएगा क्योंकि जीएसटी बिल के बाद पैदा होने वाली परिस्थितियों और व्यापारिक पेचीदगियों को समझने के लिए मात्र कॉस्ट अकाउंटेंट ही सक्षम हैं। करों के घटने या उनके एकीकरण से बहुत पेचीदगी पैदा होगी। राकेश सिंह ने मिसाल देते हुए समझाया कि कच्चे माल की ख़रीद और तैयार माल के बेचे जाने तक कटने वाले सभी करों और पर्चियों में एकरूपता लाने के साथ ही बेशक कर दर पर प्रभाव पड़ेगा। ऐसे में जीएसटी लागू होते ही इसे समझने के लिए भारत में बहुत पेशेवरों की आवश्यकता पड़ेगी और कॉस्ट अकाउंटेंट ही इस आवश्यकता को पूरा कर सकता है। राकेश सिंह ने बताया कि जीएसटी के लागू होने के बाद लागत दर भी कम होगी और इसका अंकेक्षण करने के लिए कॉस्ट अकाउंटेंट पर ही जिम्मेदारी आएगी। उन्होंने कहाकि इतना ही नहीं जीएसटी के बाद मैन्यूफ़ैकचरर में उत्साह आएगा, वह नए कारोबारों को आज़माएंगे। नई यूनिट लगाने के लिए उन्हें नए सिरों से लागत का अंकेक्षण करवाना होगा जिसे मात्र कॉस्ट अकाउंटेंट ही समझा पाएंगे।
राकेश सिंह ने भारत के सभी कॉस्ट अकाउंटेंट को बधाई देते हुए कहाकि वह जीएसटी को एक चुनौती के साथ साथ एक अवसर के रूप में भी स्वीकार करें क्योंकि उत्पादन और करों के निर्धारण के साथ ही नए रोज़गार के द्वार खुलेंगे और कॉस्ट अकाउंटेंट की भूमिका बढ़ जाएगी। ‘हमारे पास बहुत चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स और व्यापारी जीएसटी के लागू होने के साथ ही उसकी लागत प्रभावकता को समझने के लिए मुलाक़ात करना चाहते हैं, हम उन्हें यही समझा रहे हैं कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार का जीएसटी को लागू करना एक बहुत उत्साहजनक और सकारात्मक क़दम है लेकिन यह समझने की आवश्यकता है कि कॉस्ट अकाउंटेंट की मदद के बिना वह जीएसटी का लाभ नहीं उठा पाएंगे क्योंकि यह सिर्फ़ क़ानून और लेखा को समझने की चुनौती नहीं बल्कि इस क़ानून से लागत पर पैदा होने वाले प्रभाव का प्रश्न है। हम समझते हैं व्यापारी और उत्पादकों के लिए आख़िरकार यही महत्वपूर्ण है कि वह लागत के आधार पर लाभ और बचत में अपने आप को कहाँ खड़ा पाते हैं।’ राकेश सिंह ने कहा।
हमारे साथ खास बातचीत में राकेश सिंह ने विश्वास जताया कि इंस्टीच्यूट ऑफ़ कॉस्ट अकाउंटेंट में यह क्षमता है कि वह जीएसटी के बाद लागत अंकेक्षण पेशेवरों की ज़रूरत को पूरा कर पाएगी। उन्होंने जीएसटी के बाद पैदा होने वाली पेचीदगियों को समझने के लिए कॉस्ट अकाउंटेंट संस्थान को चाहिए कि वह चार्टर्ड अकाउंटेंट संस्थान और कम्पनी सेक्रट्री संस्थान की भी मदद करे क्योंकि अंतिम रूप से व्यापारिक हितों की सुरक्षा इस बात पर निर्भर करती है कि व्यापारिक लागत कितनी है और कम्पनी को कितनी बचत होगी।