गागर में सागर पुस्तक मेले में हुई 30 फीसदी छूट
लखनऊ । मोतीमहल वाटिका लॉन राणाप्रताप मार्ग पर चल रहा गागर में सागर राष्ट्रीय पुस्तक मेला अब समापन की ओर बढ़ चला है। निःशुल्क प्रवेश वाले पुस्तक मेले में अब बाकी दो दिन बहुत से स्टालों पर निश्चित राशि से ज़्यादा की खरीद पर सभी पुस्तकों पर 10 की जगह 30 प्रतिशत छूट मिलेगी। साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों के बीच यह मेला 23 अक्टूबर को समाप्त होगा।
मेले की विशिष्ट अवधारणा लाने वाले संयोजक देवराज अरोड़ा ने बताया कि पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए आज से मेले में गागर में सागर योजनांतर्गत लगे सभी स्टालों पर पांच हज़ार या इससे अधिक राशि की किताबें खरीदने पर छूट 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत कर दी गई है। इस योजना का लाभ हर पुस्तक प्रेमी रविवार तक चल रहे इस मेले में उठा सकता है।
मेले में प्रबंधन, इंजीनियरिंग, मेडिकल और कम्प्यूटर की उच्च शिक्षा और हर तरह की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मंथन सहित अनेक स्टालों पर अच्छी सामग्री है। व्यक्तित्व संवारकर जीवन में सफल होने से सम्बंधित हिन्दी अंग्रेजी की किताबें बहुत से स्टालों पर हैं। इससे अलग यूनिकॉर्न के स्टाल पर जुही अग्रवाल की ‘डांट-डपट के बिना बच्चों को कैसे सुधारें’ है तो राजा पाकेट बुक्स में ‘मालिश से रोग उपचार’, नेटवर्क मार्केटिंग व ‘नॉनवेज कुकिंग’ और मंजुल पब्लिशिंग हाउस के स्टाल पर रिचर्ड टेंपनर की ‘मैनेजमेण्ट के नियम’ तो कहीं सरश्री की ‘तुरंत खुशी कैसे प्राप्त करें’ जैसी पुस्तकें लोगों को आकर्षित कर रही हैं। कहा जाए तो यह पुस्तक मेला विविधताओं को समेटे है।
आज साहित्यिक आयोजनों में सुबह सुश्री बालिका सेनगुप्ता के काव्यसंग्रह ‘आओ नींव रखें उजाले की’ का लोकार्पण साहित्यप्रेमियों की उपस्थिति में हुआ। अनंत अनुनाद संस्था की ओर से आयोजित काव्यगोष्ठी के उपरांत डा.निर्मला सिंह की अध्यक्षता में चले कवयित्री सम्मेलन में गीतिका वेदिका, अनीता श्रीवास्तव, भावना मौर्य व मालविका हरिओम ने रचनाएं पढ़ीं। इसी क्रम में आज रचनाकार डा.अमिता दुबे व डा.मृदुला पण्डित को संरक्षक मुरलीधर आहूजा, व्यवसायी अनिल टेकड़ीवाल, संयोजक देवराज अरोड़ा व नीरू अरोड़ा ने सम्मान पत्र आदि देकर शतरूपा सम्मान से अलंकृत किया। युवा पण्डाल में बच्चों और नययुवाओं की सर्जनात्मक गतिविधियां संचालित हुईं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में आज शाम लोकसंगीत की मधुर स्वरलहरियां उठी। अंजलि खन्ना व साथियों ने लोगों का लोकरंजन किया।