भारतीय वैदिक दर्शन मानवीय मूल्यों की स्थापना के लिए आवश्यक : बिष्ट
एमिटी में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
लखनऊ: तकनीकी विकास की पराकाष्ठा के साथ ही मानवीय व्यवहार में मानव मूल्यों के लगातार हो रहे क्षरण पर गम्भीर चर्चा और विचार विमर्श हेतु एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ बिहैवोरियल एण्ड एलाइड साइंसेज (एआईबीएएस), एमिटी विवि लखनऊ परिसर द्वारा तृतीय दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन मानव व्यवहार और विकास के मुद्दे का आयोजन किया गया।
मुख्य अतिथि राज्य सूचना आयुक्त अरविन्द सिंह बिष्ट और मुख्य वक्ता इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर प्रो. आर.सी. त्रिपाठी ने दीप प्रज्ज्वलित कर सम्मेलन का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर के प्रति कुलपति सेवानिवृत्त मेजर जनरल के.के. ओहरी (एवीएसएम), निदेशक, प्रोजेक्ट्स नरेश चन्द्रा, डीन विज्ञान, शोधकार्य एवं तकनीकी प्रो. कमर रहमान और एआईबीएएस की निदेशिका डॉ. मंजू अग्रवाल उपस्थित रहीं।
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि ने विषय की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए कहा कि आज हम विकसित होने के साथ ही भौतिकतावादी भी होते जा रहे हैं। जिसकी वजह से समाज में मानवता और मानवीय मूल्य कहीं पीछे छूटते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सतत मानवीय विकास के लिए मानवीय मूल्यों की स्थापना अत्यधिक आवश्यक हो चुकी है। मानव सामाजिक प्राणी होने के नाते आपस में व्यवहारगत कुशलता और मानवीयता को लाये बिना विकसित नहीं हो सकता है। इसके लिए हमें भारतीय वैदिक सिद्धांतों और स्थापनाओं की ओर वापस लौटना पड़ेगा, और आत्मा, अंतर्रात्मा और परमात्मा के दर्शन को अंगीकार करते हुए समाज में विकास की लहर चलानी होगी।
मुख्य वक्ता प्रो. आर.सी. त्रिपाठी ने समाज में व्यवहार कुशलता और सतत विकास के लिए शिक्षा के प्रचार-प्रसार पर जोर देते हुए कहा कि बिना शिक्षा का प्रसार किये न तो हम उच्चतम विकास के लक्ष्य को पा सकते हैं और न ही समाज के कमजोर तबके की आमदनी में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षा प्रणाली में पढ़ोगे लिखोगे तो होगे नवाब जैसी मान्यता शिक्षा को पावर और पैसा प्राप्त करने के साधन के रूप में स्थापित करती है जबकि अब आवश्यकता है कि शिक्षा को मानवीय मूल्यों और व्यवहार को विकसित करने वाले औजार के रूप में शामिल किया जाए।
इसके पूर्व डॉ. कमर रहमान ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आज पैसा और तकनीकी महत्वपूर्ण हो गई हैं। जबकि मानवीयता की डोर हमारे हाथों से फिसलती जा रही है। जिसका परिणाम हमें हमारे समाज से लेकर के विश्व भर में दिखाई पड़ रहा है। मानवीयता के क्षरण का ही परिणाम है कि हम आतंकवाद और सीरिया जैसी परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है।
सम्मेलन में आज प्रथम दिन आयोजित विभिन्न सत्रों के दौरान सतत विकास के लिए सर्वोत्तम अभ्यास, महिला सशक्तिकरण, भावनात्मक विकास, लैंगिक समानता आदि विषयों पर चर्चा व परिचर्चा हुई। सम्मेलन में जहां देश के विभिन्न प्रदेशों से आये प्रतिभागी शामिल हो रहे हैं, वहीं हंगरी, स्कॉटलैंड, श्रीलंका, जर्मनी, बांग्लादेश, नाइजीरिया, और कनाडा जैसे देशों से भी प्रतिभागी शिरकत कर रहे हैं।
सम्मेलन के बाद देर शाम प्रतिभागियों को भारतीय कला और आतिथ्य की परम्परा से परिचित कराने के लिए सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन किया गया।