जीवविज्ञान और इंजीनियरिंग क्षेत्र आपस में एक दूसरे के पूरक हैं: डा. टंडन
एमिटी विश्वविद्यालय में जीवविज्ञान और अभियांत्रिकी पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
लखनऊ: जीवविज्ञान और अभियांत्रिकी से जुड़े सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करने और इससे संबंधित आधुनिक खोजों के विषय में जानकारियों का आदान-प्रदान करने हेतु एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर के एमिटी स्कूल ऑफ एप्लाइड साइंसेज द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।
जीवविज्ञान और अभियांत्रिकी के बीच जुड़ाव के महत्वपूर्ण बिंदु विषयक इस सम्मेलन में देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों से आए 150 शोधार्थियों और छात्रों ने प्रतिभागिता की।
सम्मेलन का शुभारम्भ मुख्य अतिथि निदेशक लखनऊ बायोटेक पार्क डा. प्रमोद टंडन ने दीप जलाकर किया। इस अवसर पर एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर के प्रति कुलपति अति विशिष्ट सेवा पदक प्राप्त सेवानिवृत्त मेजर जनरल केके ओहरी और एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ परिसर की डीन शोधकार्य, विज्ञान एवं तकनीकि डा. कमर रहमान सहित विवि के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष और छात्र-छात्राएं उपस्थित थीं।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए डा. टंडन ने कहा कि, जीवविज्ञान और इंजीनियरिंग क्षेत्र आपस में एक दूसरे के पूरक हैं। इन दोनों के सम्मिलन से दुनियां में बहुत सारी जनोपयोगी खोजे संभव हो पाई हैं। विज्ञान की कई सारी उपशाखाएं स्वतंत्र रुप से इन क्षेत्रों में काम करने के लिए विकसित हुई जैसे जैनेटिक इंजीनियरिंग। उन्होनें एमिटी विवि को इस सम्मेलन के आयोजन हेतु बधाई देते हुए कहा कि, इस सम्मलेन के द्वारा निश्चित ही शोधार्थी जीवविज्ञान और अभियात्रिकी के क्षेत्र में हो रही नवीनतम खोजों से परिचित हो पाएगें।
डा. कमर रहमान ने सम्मेलन की विषय वस्तु पर विस्तार से चर्चा करते हुए नैनोंटैक्नालाजी और जीवविज्ञान के संबंधों पर प्रकाश डाला।
आईआईटी खड़गपुर के पूर्व प्रवक्ता प्रोफेसर पंचानन प्रमानिक ने बायोसेंसर और आधुनिक विज्ञान एवं तकनीकि विषय पर अपना व्याख्यान दिया। इसके उपरान्त एसजीपीजीआई से जुडे़ वैज्ञानिक डा. आदित्य सारंगी और आरएमएल लखनऊ के डा. मनदीप सेन ने भी सम्मेलन को संबोधित किया।