मुलायम का एलान, टीपू ही होंगे यूपी के सुलतान
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने पिछले हफ्ते के अपने रुख को पलटते हुए सोमवार को कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में मौजूदा मुख्यमंत्री तथा उनके पुत्र अखिलेश यादव की पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे.
लंबे अरसे से पार्टी के भीतर ही मुलायम के मुख्यमंत्री पुत्र तथा अब पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष भाई शिवपाल यादव के बीच जारी 'जंग' के दौरान पिछले सप्ताह मुलायम सिंह ने कहा था विधानसभा चुनाव 2017 के लिए मुख्यमंत्री का तेहरा तय नहीं किया गया है, और उसका फैसला जीत के बाद पार्टी विधायक करेंगे.
पिछले काफी अरसे मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री और अपने छोटे भाई कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव के बीच चल रही 'जंग' को सुलझाने में लगे हुए हैं. अब तक उन्होंने अपने भाई की तरफ झुकाव के संकेत दिए थे, और पिछले हफ्ते भी वह इस बात को लेकर गोलमोल बात करते सुनाई दिए थे कि अगले चुनाव में अखिलेश यादव ही मुख्यमंत्री के रूप में पार्टी की ओर पेश किए जाने वाला चेहरा होंगे या नहीं.
उधर, अपने पिता का 'साथ' न हासिल कर पाने वाले अखिलेश यादव की तरफदारी उनके चाचा रामगोपाल यादव ने जमकर की, और मुलायम को खत लिखकर चेताया भी. रामगोपाल यादव ने खत में लिखा, "अखिलेश निःसंदेह इस समय राज्य के सबसे लोकप्रिय नेता हैं, और उनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने अभूतपूर्व विकास परियोजनाओं को फलीभूत होते देखा है… यदि पार्टी को चुनाव में जीत हासिल करनी है, अखिलेश को मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित करना ही चाहिए…"
कुछ ही हफ्ते पहले शिवपाल यादव ने मुख्यमंत्री की साफ-साफ जताई आपत्ति को दरकिनार करते हुए एक पूर्व अपराधी के नेतृत्व में चलने वाली एक छोटी राजनैतिक पार्टी का विलय समाजवादी पार्टी में करवाया था, क्योंकि उस नेता की मुस्लिमों में खासी पकड़ है, और राज्य की 18 फीसदी आबादी मुस्लिम ही है. सितंबर के मध्य में मुलायम सिंह यादव ने पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष के रूप में अखिलेश को हटाकर शिवपाल को बिठाया था. इस कदम से विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के चयन का अधिकार शिवपाल को मिल गया था, और इस कदम से हाशिये पर सरका दिए गए अखिलेश यादव ने अपने चाचा से महत्वपूर्ण मंत्रालय वापस ले लिए, जिन्होंने इसके बाद सरकार और पार्टी पदों से इस्तीफा दे दिया. फिर 'संधि' भी मुलायम सिंह यादव की कोशिशों से ही हुई थी. शिवपाल मंत्री के रूप में वापस आ गए, और अखिलेश को आश्वासन दिया गया कि चुनावी प्रत्याशियों के चयन में उनकी अहम भूमिका रहेगी.