भाई के बाद बहन भी छोड़ेंगी हाथ का साथ!
नई दिल्ली। यूपी विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और लखनऊ छावनी से विधायक रीता बहुगुणा जोशी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थाम सकती हैं। बता दें कि रीता बहुगुणा जोशी की पहचान एक कट्टर कांग्रेसी के तौर पर होती रही है।
वहीं, कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह ने रीता बहुगुणा जोशी के बीजेपी में शामिल होने की चर्चा को अफवाह बताया है। उन्होंने कहा है कि मैं रीता पर कोई कमेंट नहीं करना चाहता हूं। हम जो सुन रहे हैं वो अफवाह हैं। चुनावों के दौरान देखा गया था कि नेता पार्टी बदल देते हैं, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है।
प्रदेश में कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर प्रदेश में ब्राह्मण वोट बैंक को फोकस करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसी रणनीति के तहत कांग्रेस ने दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को यूपी में सीएम चेहरा बनाया। रीता बहुगुणा जोशी ब्राह्मण समुदाय से हैं और पार्टी के ब्राह्मण चेहरों में सबसे आगे हैं। ऐसे में उनके बीजेपी के शामिल होने की आशंका को कांग्रेस के लिए झटके के तौर पर देखा जा सकता है।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर हैं और प्रदेश में चुनाव की कमान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने संभाल रखी है। ऐसे में रीता बहुगुणा जोशी की प्रदेश में क्या भूमिका है? शायद यही सवाल रीता बहुगुणा जोशी के लिए कांग्रेस के कटने की वजह हो सकता है।
रीता बहुगुणा जोशी 2007-2012 तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर भी रह चुकी हैं। वह एक जमीनी नेता के रूप में जाती हैं। यूपी में उन्होंने जनता से जुड़े अनेक मुद्दों पर सड़क पर संघर्ष किया और कार्यकर्ताओं के साथ आवाज बुलंद की। गौरतलब है कि रीता बहुगुणा जोशी के भाई और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा जोशी पहले ही कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी ज्वाइन कर चुके हैं। उस समय भी रीता बहुगुणा जोशी के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें तेज हुई थीं, हालांकि उन्होंने ऐसी खबरों का खंडन किया था।