समाज सेवा जनसेवा का सशक्त माध्यम है: राम नाईक
लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक से आज राजभवन में श्री जय प्रकाश अग्रवाल, अध्यक्ष, सूर्या फाउण्डेशन, पश्चिम विहार, नई दिल्ली के नेतृृत्व में 60 सदस्यों के एक प्रतिनिधि मण्डल ने भेंट किया। सूर्या फाण्डेशन के कार्यकर्ता सूर्या आदर्श गांव योजना, सूर्या यूथ क्लब, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा तथा अन्य सामाजिक कार्य जैसे व्यक्तित्व विकास, वृक्षारोपण, खेल-कूद प्रतियोगिता का तीन दिवसीय दक्षता वर्ग में सम्मिलित होने लखनऊ आये है। सदस्यों ने पत्र लिख कर राजभवन का भ्रमण करने एवं राज्यपाल से भेंट करने का अनुरोध किया था।
राज्यपाल ने सूर्या फाउण्डेशन परिवार के सभी सदस्यों का अभिनन्दन करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा प्रदेश है जिसमें अब तक देश को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सहित नौ प्रधानमंत्री दिये हैं। उत्तर प्रदेश का लगभग हर जिला अपने किसी न किसी विशेष उत्पाद या विशेषता के लिये जाना जाता है। उन्होंने सदस्यों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि समाज सेवा जनसेवा का सशक्त माध्यम है। राज्यपाल ने यह भी कहा कि सामाजिक संस्थाओं में नियमित प्रशिक्षण की जरूरत है।
श्री नाईक ने अपना संक्षिप्त परिचय देते हुए कहा कि 1954 में वे पहली बार सांगली से मुंबई नौकरी के लिये आये। पहली नौकरी महालेखाकार कार्यालय में करने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक, जनसंघ एवं आपातकाल में जनहित से जुडे़ अन्य समाजिक कार्यों के साथ-साथ कुष्ठ पीड़ितों के पुनर्वास के लिए भी कार्य किये। जन सेवा के लिए उन्होंने सरकारी सेवा से त्याग पत्र दे दिया। जनता पार्टी बनने के बाद उन्होंने बोरीवली से विधान सभा का चुनाव लड़ा। समाज के समर्थन से तीन बार विधान सभा तथा पांच बार लोकसभा के सदस्य रहे। मुंबई देश की आर्थिक राजधानी के साथ-साथ राजनैतिक रूप से भी काफी सजग थी, जिसने विभिन्न राजनैतिक दलों के बडे़ नेताओं को देश की सेवा के लिए समर्पित किया।
राज्यपाल ने कहा कि पांच बार लोकसभा सदस्य रहने के साथ वे केन्द्र में मंत्री भी रहे तथा दो बार चुनाव भी हारे। 2013 में नये चेहरे को स्थान देने के लिये उन्होंने चुनावी राजनीति छोड़ने का निर्णय किया। 2014 में उन्हें उत्तर प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया। राज्यपाल रहते हुए उन्होंने लाट साहब की छवि की धारण बदलते हुए जवाब देही एवं पारदर्शिता के तहत अपने कार्य की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। इससे पूर्व भी अपने राजनैेतिक जीवन में 1978 से 2013 तक अपनी क्षेत्र की जनता के सम्मुख अपना वार्षिक लेखा-जोखा प्रस्तुत करते आए हैं। उन्होंने कहा कि वे कोशिश करते हैं कि संविधान के अनुरूप अपने दायित्वों का निर्वहन करें तथा जनता के बीच विश्वास निर्माण करने की दृृष्टि से अपनी वार्षिक कार्यवृत्त भी प्रेषित करते हैं।