राष्ट्रीय पुस्तक मेले गागर में सागर में साहित्य का अच्छा कलेक्शन
लखनऊ. मोतीमहल लॉन में चल रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेले गागर में सागर का आज दूसरा दिन था. संयोजक देवराज अरोड़ा ने जैसा इसे नाम दिया गागर में सागर वैसा यहाँ नज़र भी आ रहा है. पुस्तक मेले देखते आ रहे लोगों को यह पुस्तक मेला छोटा लगेगा. यह छोटा है भी लेकिन संयोजक ने पाठकों को यह गारंटी दी है कि वह यहाँ जिन लेखकों की पुस्तकें तलाशने आयेंगे वह यहाँ उन्हें मिल जायेंगी तो दूसरी तरफ प्रकाशकों को यह वादा है कि लखनऊ के इस राष्ट्रीय पुस्तक मेले में उन्हें नुकसान नहीं होगा.
इस राष्ट्रीय पुस्तक मेले में महेश कटारे की पुस्तक समय के साथ-साथ, रवीन्द्र कालिया की पुस्तक उर्दू की बेवफा कहानियाँ, मैत्रेयी पुष्पा की पुस्तक आरक्षित, खगेन्द्र ठाकुर की पुस्तक सेन्ट्रल जेल, शेखर जोशी की पुस्तक बंधुआ रामदास, अमिता दुबे की पुस्तक उलझन और ममता कालिया की पुस्तक मेरी चुनिन्दा प्रेम कहानियाँ जैसी तमाम कीमती किताबें सिर्फ 50-50 रूपये में मिल जायेंगी.
इस पुस्तक मेले में हिन्दी साहित्य का अच्छा कलेक्शन पाठकों के लिए मौजूद है. गीत सम्राट गोपाल दास नीरज की तमाम किताबें यहाँ से खरीदी जा सकती हैं. पंडित नेहरु की पिता के पत्र पुत्री के नाम भी यहाँ मौजूद है.
राष्ट्रीय पुस्तक मेले ‘गागर में सागर’ के दूसरे दिन आज डॉ. अर्चना प्रकाश के भक्ति काव्य श्री दुर्गा अर्चनांजलि का लोकार्पण हुआ. इसका लोकार्पण उत्तर प्रदेश की पूर्व गृह मंत्री और सुपरिचित साहित्यकार स्वरूप कुमारी बक्शी, इतिहासकार डॉ. योगेश प्रवीन, डॉ. उषा चौधरी, आशा श्रीवास्तव और डॉ. अशोक शर्मा ने संयुक्त रूप से किया.
श्री दुर्गा सप्तशती पर आधारित से काव्यकृति में भक्तों को माँ दुर्गा पर एक से बढ़कर एक शानदार भजन पढ़ने को मिलेंगे. आज यहाँ वीर विक्रम बहादुर मिश्र और सुश्री स्नेह लता ने शीला शर्मा की पुस्तक अपरिभाषित रिश्ते का भी लोकार्पण किया. स्नेहलता ने इस मौके पर कहा कि यह कृति सामाजिक व चारित्रिक मूल्यों का संरक्षण करती नज़र आयेगी.
राष्ट्रीय पुस्तक मेले के मुख्य मंच पर आज प्रख्यात साहित्यकार मुद्राराक्षस की स्मृतियाँ साझा की गईं. शिव मूर्ति, वीरेंद्र यादव, राकेश, कौशल किशोर और सुभाष राय ने इस मौके पर मुद्रा राक्षस के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से चर्चा की.
मुद्राराक्षस के प्रेम व्यवहार, रोज ना मिलने का उलहाना देना और बिना किसी सम्मान के सहर्ष साथ जाने को तैयार रहने की आदत उन्हें दूसरों से अलग करती थी. उनके जैसा व्यक्तितव विरले ही लोगों को मिलता है. जो संघर्ष के लिए भी प्रेरित करता है.
राकेश ने मुद्राराक्षस को याद करते हुए कहा कि बनारस से मगहर की पद यात्रा हज़रतगंज से चिनहट की पदयात्रा के जरिये कबीर के पदचिन्हों को तलाशने का काम किया.
शिवमूर्ति ने कहा कि मुद्रा जी में सभी आयाम मौजूद थे वह कलाकार लेखक समाजसेवी दो टूक बोलने की आदत वाले शानदार इंसान थे. वक्ताओं ने उन्हें अप्रतिम बनाया.
राष्ट्रीय पुस्तक मेले में हुए कवि सम्मेलन में मुकेशानन्द ने कोख में मारी जा रही बेटियों को बचाने का सन्देश देते हुए कहा कि कोख में मत मारो बेटियों को कोख का क़र्ज़ चुकायेगी, बेटे होंगे नाकारा जब बेटियां बेटों का फर्ज़ निभाएंगी.
अनिल कुमार गुप्त निडर ने कहा :- भारत माँ के अमर सपूतों, आगे बढ़कर आना होगा. कवि सम्मेलन में अगीत विधा के जनक डॉ. रंगनाथ मिश्र सत्य, साहब दीन, मुरली मनोहर कपूर, बेअदब लखनवी, आर.के.सरोज, म्रत्युन्जय गुप्ता, सुनील कुमार तिवारी, प्रेम शंकर शास्त्री, विशाल मिश्र, मंजुल मंज़र और डॉ. श्याम गुप्ता की रचनाएं खूब सराही गईं.
राष्ट्रीय पुस्तक मेले में आयोजित बच्चों की प्रतियोगिता के बारे में ज्योति रतन ने बताया कि बच्चों की प्रतियोगिता में नृत्य में अभिश्री, तनिष्का और अश्वित आदि ने अपने शानदार नृत्य से लोगों का दिल जीत लिया.