अल्पसंख्यकों के लिए अखिलेश के कामों का दर्पण है ‘’नई उमंग’’
लखनऊ: सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में पत्रिकाओं के प्रकाशन की समृद्ध परंपरा रही है लेकिन शुद्ध समाचार पत्रिका सूचना विभाग ने शायद पहली बार प्रकाशित की है। नई उमंग, उर्दू की ऐसी समाचार पत्रिका के रूप में सामने आई है जिसमें वर्तमान सरकार के पिछले लगभग पांच वर्षां में मुस्लिम समाज के लिए किए गए कामों को संजोया गया है। हालांकि नई उमंग पत्रिका नहीं बल्कि पुस्तक श्रंखला की पहली कड़ी के रूप में प्रकाशित की गई है लेकिन उसका तेवर, कलेवर, स्टोरीज का ले आउट और डिजाइनिंग सब कुछ किसी राष्ट्रीय स्तर की समाचार पत्रिका से कम नहीं है।
’नई उमंग’ सूचना विभाग की ऐसी पत्रिका है जो याद दिलाती है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 31 जुलाई 2012 को लखनऊ की कांशीराम उर्दू, अरबी फारसी यूनिवर्सिटी का नाम बदलकर ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती युनिवर्सिटी कर दिया। इसी तरह मुख्यमंत्री ने 11 फरवरी 2014 को सहारनुपर के मेडिकल कॉलेज का नाम महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मौलाना महमूद हसन मेडिकल कॉलेज कर दिया। हाल ही में समाजवादी पेंशन स्कीम की ब्रांड एम्बेस्डर बनाई गई मशहूर अभिनेत्री विद्या बालन के बजाए इस पत्रिका ने अपने इनर बैक कवर पर किसान बीमा योजना के ब्रांड एम्बेस्डर बनाए गए बॉलीवुड अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी का फोटो छापा है। इसी पेज पर मुख्यमंत्री का वह फोटो भी छपा है जिसमें वह दादा मियां के मजार पर उर्स के मौके पर गए हुए हैं। पत्रिका की शुरुआत मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के इंटरव्यू से होती है जिसमें उन्होंने कहा है कि विकास और जनहित के जितने काम उनके कार्यकाल में अभी तक हुए हैं उतने पिछले बीस वर्षों में भी नहीं हुए।
नई उमंग की कवर स्टोरी का चुनाव भी बेहद सलीके से किया गया है। मुसलमानों की शिक्षा के लिए इस सरकार ने कितना जबर्दस्त काम किया इसे कवर स्टोरी में पिरोया गया है। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने 4 मई 2015 को लखनऊ में रफीकुल मुल्क मुलायम सिहं यादव आईएएस स्टडी सेंटर का उदघाटन किया था। इसके पहले बैच के 39 छात्रों में से 28 को सरकारी नौकरी मिल गई और अधिकांश को गजटेड जॉब मिला, इनमें से एक आईबी, एक बिहार पीसीएस, दो समीक्षा अधिकारी जैसे पदों पर नियुक्त हुए। आईएएस स्टडी सेंटर का माहौल और फैकल्टी इतनी अच्छी है कि एएमयू, जामिया जैसे शिक्षण संस्थानों को छोड़कर छात्र यहां आ रहे हैं। इसके दूसरे बैच में 30 छात्र आईएएस के मेन्स की तैयारी कर रहे हैं तो 41 प्री की तैयारी में व्यस्त हैं। इस सेंटर के कई छात्रों से बातचीत भी इसमें छपी है।
वर्तमान सरकार के कार्यकाल में करीब 5000 बेगुनाहों को रिहाई नसीब हुई। प्रदेश सरकार के एडीशनल एडवोकेट जनरल श्री जफर याब जीलानी के इंटरव्यू के हवाले से यह बात यह पत्रिका बताती है। इस इंटरव्यू में श्री जीलानी ने दावा किया है कि पिछले करीब पांच वर्षों में बस्ती, गोंडा जिले के कुछ विख्यात मामलों के अलावा एएमयू के छात्रों पर से मुकदमे भी वापस हुए। लखनऊ मेट्रो, आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे, हथकरघा बुनकर पेंशन योजना, उर्दू अकादमी, हज यात्रियों को दी जाने वाली सहूलियात, गाजियाबाद हज हाउस का लोकार्पण, लगभग 8000 कब्रिस्तानों की चहारदीवारी का निर्माण, मदरसों में सेवा नियमावली लागू करने तथा उनकी ग्रांट बढ़ाने के अलावा मुस्लिम बहुल इलाकों में मॉडल इंटर कालेज खोलने की योजना, मुअल्लिमीने उर्दू का प्रकरण जैसे मुस्लिम विषयों पर विशिष्टता से स्टोरी तैयार की गईं हैं। इसका सम्पादन सूचना विभाग के सहायक निदेशक सुहेल वहीद ने किया है।
पत्रिका की आखिरी स्टोरी पुराने लखनऊ के हेरिटेज जोन वाले इलाके के सौंदर्यीकरण पर है जिसे पत्रिका के सम्पादक ने स्वयं लिखा है। इस स्टोरी में खास बात यह है कि हेरिटेज जोन के सौंदर्यीकरण को पुराने लखनऊ के विकास कार्यों से जोड़कर लिखा गया है। लखनऊ उत्तरी विधान सभा क्षेत्र के विधायक प्रोफेसर अभिषेक मिश्रा एवं लखनऊ पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के विधायक श्री रेहान नईम से इस बारे में इंटरव्यू भी इसमें प्रकाशित किए गए हैं। इनमें उन्होंने कहा है कि सीएम के विजन से बदल गई पुराने लखनऊ की सूरत, नजर आने लगा नवाबी दौर का लखनऊ। लखनऊ के शाही मोहर्रम की दुनिया भर में शोहरत का जिक्र करते हुए इस स्टोरी को जरा साहित्यक टच भी दिया गया है और शकील बदायूंनी का मशहूर गीत ’ये लखनऊ की सरजमीं……’ और लखनऊ पर मजाज़ की मशहूर नज्म ’हम पर है खत्म शामे गरीबाने लखनऊ…….’ भी इसमें छापी गई है।
पत्रिका की विशेषता इसके फोटोग्राफ्स भी हैं। जबर्दस्त विरोध के बावजूद पिछले वर्ष मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पाकिस्तानी गजल सिंगर गुलाम अली को लखनऊ महोत्सव में बुलाया। आगरा में इंस्वेस्टर्स मीट तथा सैफई महोत्सव में पाकिस्तानी मूल के गायक राहत फतेह अली खान को आमंत्रित किया, इसी तरह उन्हांने एकेटीयू का नाम एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर कर दिया जैसे मुसलमानों से जुड़े अवसरों के फोटो इस पत्रिका में विशेष रूप से छापे गए हैं।