शोहदाए इस्लाम के नाम पर होने वाले जलसे एक मिशन और तहरीक हैं: मौलाना मतीनुल हक़ क़ासमी
कानपूर: शुहदा ए इस्लाम के नाम पर होने वाले जलसे वास्तव में एक मिशन और तहरीक हैं, कोई भी मिशन कुछ दिनों का नहीं होता बल्कि जीवन भर का होता है, जिसे हम पूरी तरह सफल बनाने में लगे हुए हैं। उक्त विचार अंजुमन रफीकुल इस्लाम द्वारा क़ारी अहमद अली के नेतृत्व में मुअज्जम नगर में आयोजित दस दिवसीय जलसा शुहदा ए इस्लाम के पांचवें जलसे में बतौर मुख्य अतिथि आए प्रसिद्ध आलिम ए दीन जमियत उलेमा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा क़ासमी कार्यवाहक काजी ए शहर कानपुर ने व्यकत किया।
मौलाना ने कहा कि सहाबा और इस्लाम के शहीदों की महानता किसी अंजुमन, संगठन, देवबंद, बरेली, नदवा का मिशन नहीं है बल्कि यह मिशन हजरत मुहम्मद सल्ल0 और कुरआन का है, और जो मिशन नबी स0अ0व0 का है तो कोई ईमान वाला इस मिशन दूर रह ही नहीं सकता है, यानी यह मिशन हमारे ईमान और धर्म से जुड़े हैं। हम सब कुछ छोड़ सकते हैं लेकिन अल्लाह और पैगंबर के मिशन से थोड़ी देर के लिए भी अलग नहीं हो सकते। वर्तमान में योजना के साथ यह अवगत कराने की कोशिश की जा रही है कि इस प्रकार के जलसे एक विशेष वर्ग को सामने रखकर किए जाते हैं, अगर यह बात हमारे दिल दिमाग में भी है तो उसे निकाल दें ।
शोहदा ए इस्लाम और अज़मत ए सहाबा का संबंध हमारे धर्म व ईमान से है। धर्म के काम हम अपने को संवारने के लिए करते हैं, लेकिन अगर कोई नेक काम नहीं कर रहा तो इसका यह मतलब नहीं कि वह नरक(जहन्नम) चला जाए बल्कि हमारी यह सोच होनी चाहिए कि वह भी सही रास्ते पर आ जाए ताकि सभी मिलकर कर स्वर्ग (जन्नत) चलें। बयान के पहले क़ारी रजीउद्दीन सिद्दीकी ने मौलाना उसामा क़ासमी को मोमिंटो और का़री हामिद ने शाल के साथ ही हाफिज मुहम्मद अकबर, सैयद मुहम्मद अरशद, मुहम्मद आजम मुहम्मद शुमार अली उर्फ भूरे, मुहम्मद शमीम राजू, हाफिज़ मुहम्मद इब्राहीम ने जमियत उलमा का प्रांतीय अध्यक्ष मनोनीत होने पर फूलों की माला से स्वागत किया। जलसे का संचालन मौलाना आदिल नदवी ने किया। कुरआन की तिलावत शुभारम्भ हुआ। कारी मुहम्मद जुबैर ने नात पेश किया। इस अवसर पर मुहम्मद जमील, तारिक जुबैर, क़ारी अहमदुल्लाह, मुहम्मद नदीम, मुहम्मद सिराज, मौलाना रिजवान, क़ारी अब्दुल सलाम, हाफिज नूरूल्लाह सिद्दीकी, हाफिज अब्दुल वाहिद के अलावा बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।