एड्स का सबसे बड़ा कारण माता-पिता का संक्रमण
एच0आई0वी0 संक्रमित गर्भवती माता से नवजात शिशु में संक्रमण रोकने हेतु दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
लखनऊ: एच0आई0वी0/एड्स संक्रमित गर्भवती माता से नवजात शिशु में संक्रमण रोकने हेतु आज यहां होटल मैरियट में ’’अहाना’’ प्रोजेक्ट के तहत मुख्य चिकित्साधिकारियों एवं जिला क्षय रोग अधिकारियों की दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारम्भ परियोजना निदेशक, राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी एवं मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन आलोक कुमार द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया।
इस अवसर पर श्री आलोक कुमार ने कहा कि विश्व में एड्स/एच0आई0वी0 संक्रमित मरीजों की संख्या के आधार पर भारत का तीसर स्थान है। इस जानलेवा बीमारी का सबसे बड़ा कारण माता-पिता का संक्रमण है। उन्होंने कहा कि प्रथम प्रसव पूर्व जांच के समय बनाए जाने वाले एम0सी0एच0 (मदर चाइल्ड हेल्थ) कार्ड में आवश्यक जांचों में एच0आई0वी0/एड्स को शामिल कर लिया गया है। गर्भवती महिला को चिन्हित कर ’हाई रिस्क’ में शामिल करने हेतु निर्देश जारी कर दिया गया है। प्रत्येक एच0आई0वी0 संक्रमित गर्भवती महिला के सुरक्षित प्रसव हेतु मेडिकल किट उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा रही है। समस्त एच0आई0वी0 रोगी के इलाज के लिए आने-जाने हेतु 100 रुपये देने के निर्देश जारी कर दिए गये हैं।
मिशन निदेशक ने कहा कि प्रदेश की समाजवादी पेंशन योजना और समाजवादी किसान एवं सर्वहित बीमा योजना में एच0आई0वी0/एड्स से पीड़ित रोगियों के इलाज की व्यवस्था की गई है। समय से जांच और उपचार के माध्यम से 95 प्रतिशत तक गर्भवती माता से नवजात शिशुओं में इस जानलेवा बीमारी का अंतरण रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में एच0आई0वी0/एड्स की जांच का डाटाबेस तैयार किया जा रहा है। प्रदेश के समस्त ब्लड बैंकों में खून की कमी दूर करने के लिए रक्तदान शिविरों के आयोजन के आदेश जारी किए जा चुके है।
प्रोजेक्ट निदेशक ”अहाना” डा. रोचना मित्रा ने इस प्रोजेक्ट के विषय में बताया कि भारत के प्रधानमंत्री द्वारा जारी कार्यक्रम ”प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान’’ के तहत देश के नौ राज्यों में ”अहाना” कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में ममता और यू0पी0एन0पी0 के सहयोग से 61 जनपदों में गर्भवती माताओं की एच0आई0वी0/एड्स एवं सिफलिस रोग की जाॅंच और उपचार हेतु कार्य किया जा रहा है। प्रत्येक तीन चार जनपदांे पर कार्यक्रम प्रभारी नियुक्त किए गये है, जो जनपदों में प्रशिक्षण दे रहे हैं।
उ0प्र0 एडस कन्ट्रोल सोसाईटी की डा0 प्रीति पाठक ने अपने उदबोधन में कहा कि गर्भवती माता से नवजात शिशु में संक्रमण में कमी लाना ही इस कार्यक्रम का मूल उद्देश्य है। इस हेतु प्रथम प्रसव पूर्व जांच के समय गर्भवती महिला और उसके पति के संक्रमण की जांच अत्यन्त आवश्यक है। प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों और सभी मेडिकल कालेजों में एच0आई0वी0/एड्स और सिफलिस जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाव हेतु व्यवस्था कराई जा रही है।
कार्यशाला में निदेशक, सामुदायिक स्वास्थ्य /प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र डा0 रुकुम, निदेशक मातृ एवं स्वास्थ्य, डा0 पार्वती सिंधी, स्वयंसेवी संस्थान ’ममता’ के सहायक निदेशक काजी नजमुद्दीन, प्रोजेक्ट निदेशक, ’’अहाना’’ डा0 रोचना मित्रा के अलावा प्रदेश के 31 जनपदों के मुख्य चिकित्साधिकारियों और जिला क्षयरोग अधिकारियों ने प्रतिभाग किया।