मीयाद से ज़्यादा जेल में रहने वाले क़ैदियों को मिले मुआवज़ा: केंद्रीय सूचना आयोग
नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना आयोग ने देश के सबसे बड़े कारागार तिहाड़ जेल से उन कैदियों को मुआवजा देने के लिए एक प्रणाली तैयार करने को कहा जो अपनी सजा की मियाद पूरा करने के बावजूद जेल में बंद रहे.
आयोग ने जेल अधिकारियों को सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत अपने दायित्व के तहत इस तरह के कैदियों को मुआवजा देने की प्रक्रिया का स्वत: संज्ञान लेते हुए खुलासा करने का भी निर्देश दिया.
सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने अपने आदेश में कहा, 'हैरान करने की बात है कि अदालतों ने मुआवजा देने में एक विधायक और एक आम आदमी में फर्क किया. रूदुल शाह नाम के एक गरीब कैदी को जेल में 14 साल ज्यादा रखने के एवज में 30,000 रुपये का मुआवजा दिया गया, जबकि भीम सिंह नाम के एक विधायक को जेल में गलत तरीके से एक दिन कैद में रखने के लिए 50,000 रुपये का मुआवजा दिया गया. हाल के एक मामले में एक और गरीब नागरिक को 113 दिन जेल में रखने के लिए केवल 50,000 रुपये की मुआवजा राशि दी गई.' आचार्युलू ने ओपी गांधी नाम के याचिकाकर्ता की अर्जी पर फैसला करते हु यह सब कहा.
गांधी ने तिहाड़ में अदालत के आदेश से चार दिन ज्यादा समय बिताए थे. सूचना आयुक्त ने कहा कि जेल अधिकारियों को गांधी को प्रति दिन 2,500 रुपये की प्रतीकात्मक दर के साथ उसके द्वारा वहन किए गए खर्च के लिए 1,000 रुपये की अतिरिक्त धनराशि देनी चाहिए.
उन्होंने कहा, 'सरकार से लोगों के लिए अनुकूल प्रशासन की व्यवस्था करने की अपेक्षा की जाती है. जेल अधिकारी कैदियों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकते और उनके लिए उपाय करने से इनकार नहीं कर सकते. अगर इस शिक्षित एवं साहसी याचिकाकर्ता ने अतिरिक्त समय कैद में रखने का मुद्दा नहीं उठाया होता तो संभव नहीं था कि किसी को भी उसके संवैधानिक एवं मानवीय अधिकारों के उल्लंघन का पता चलता'.