आयुर्वेद के ज्ञान को स्वयं तक सीमित न रखें: राम नाईक
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज नेहरू युवा केन्द्र में अखिल लखनऊ द्वारा आयुर्वेद विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर भारतीय शारीर शोध संस्थान के अध्यक्ष प्रो0 जी0पी0 थट्टे, पूर्व सांसद श्री लालजी टण्डन सहित अन्य गणमान्य नागरिक एवं आयुर्वेद विशेषज्ञ भी उपस्थित थे।
राज्यपाल ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आयुर्वेद के ज्ञान को स्वयं तक सीमित न रखें बल्कि ज्ञान को बाटते रहें। रोगी को अच्छी सेवा मिलेगी तब आयुर्वेद के प्रति अच्छा संदेश जायेगा। यह प्रसन्नता की बात है कि देश के युवकों में आयुर्वेद के प्रति जागरूकता पैदा हो रही है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद की पुरानी परम्परा और चिकित्सा क्षेत्र के नये विचारों एवं शोध को साथ लेकर चलंे।
श्री नाईक ने कहा कि भारतीय संस्कृति सबसे पुरातन संस्कृति है। भारतीय संस्कृति के भिन्न-भिन्न अंग हैं। आयुर्वेद में शरीर शास्त्र भी हजारों वर्ष पुराना विषय है। आयुर्वेद विधा को हम कैसे आगे ले जायें तथा उसके लाभ आम आदमी तक पहुंचाने पर विचार करने की जरूरत है। महर्षि चरक एवं सुश्रुत द्वारा बतायी गयी बातों को प्रमाणिक तौर से हम कैसे प्रस्तुत कर सकते हैं यह भी बताने की आवश्यकता है। आयुर्वेद पद्धति में शरीर के साथ-साथ स्वस्थ मन पर भी जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि जैसे योग का महत्व अब पूरे विश्व को समझ में आने लगा है उसी प्रकार आयुर्वेद के बारे में भी पूरे विश्व में विचार किया जा रहा है।