दलित शब्द की रचना कथित सत्ता प्राप्त करने वालो ने रची है: महंत नृत्य गोपाल दास
अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष मणिराम दास छावनी अयोध्या के श्रीमहंत नृत्य गोपाल दास महाराज ने आज यहां कहा कि शारदीय नवरात्रि और विजय दशमी शक्ति उपासना तथा सामाजिक जीवनमूल्यो का उत्थान करते हुए समाज की रक्षा करने का महापर्व है ।यह राष्ट्र सामाजिक समरस्ता का सूत्रपात करनेवाला रहा इसमें छुवाछूत ऊॅचनीच या फिर दलित जैसे शब्दों का कही दूर -दूर तक उल्लेख नही था इसकी रचना कथित सत्ता प्राप्त करने वालो ने रची है । इस नवरात्रि तथा विजय दशमी पर भगवान श्रीराम के जीवन चरित्र को अपनाकर इन सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने का संकल्प ले हिन्दू समाज ।
श्रीदास मणिराम दास छावनी के बालमीकि रामायण भवन मे नवरात्रि तथा विजय दशमी महोत्सव के अवसर पर प्रारम्भ हुये नवाहपरायण पाठ पर भक्तों और वैदिको के बीच अपने विचार प्रकट कर रहे थे ।उन्होंने कहा भगवान श्रीराम ने सदैव अपने अनुकरणीय चरित्र से समाज को "सम" किया लेकिन जब से समाज को सत्ता प्राप्ति का साधन बनाया गया तब से हिन्दूओं को विभाजित करने का षडयंत्र शुरू हो गया ।आज ऊँच-नीच छुवाछूत तथा "दलित"जैसे शब्दों को गढकर राजनीतिक महत्वाकांक्षी दल अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं ।
उन्होंने कहा गरीबी बेरोजगारी तथा अशिक्षा ही समाज का अभिशाप है ।हर जगह गरीब ही अपमानित होता है इस खायी के कारण ही आज विघटन वादी अपने अभियान में सफल हो रहे हैं ।उन्होंने कहा प्राचीन काल में व्यवाहारिक तथा विशेष लक्ष पूर्ति के लिये "वर्ण व्यवस्था " को सेवा के रूप में प्रतिष्ठित किया गया था ना कि उन्हें अपमानित करने के लिये जो आज बड़ी तेजी के साथ किया जा रहा है ।उन्होंने कहा शास्त्रोंमें कही भी ऊँच–नीच छुवाछूत का उल्लेख नहीं मिलता है ।भगवान श्रीराम ने सामाजिक जीवनमूल्यो की स्थापना तथा समाज को भयमुक्त करके सभी को एकसूत्र मे बांधा जिसे अपने क्षणिक लाभ के लिए खंडित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा हिन्दू पर्व -महोत्सव समाज और राष्ट्र के उत्थान का संदेश देते आये हैं ।हम इस धार्मिक महोत्सव को मात्र उल्लास या धर्म -कर्म तक ही सीमित नहीं रखे बल्कि समाज के विभिन्न बुराइयों को जड़ मूल से समाप्त करने का माध्यम बनाये और सशस्क्त राष्ट्र के निर्माण का संकल्प करें ।
इस अवसर पर कृपालु राम दास " पंजाबी बाबा ,पुनीत राम दास, जानकी दास, बलराम दास, संत नरोत्तम दास , रामरक्षा दास, वैदिक श्रुतिधर दिवेदी आचार्य आनंद तिवारी आदि उपस्थित रहे।