सर्जिकल स्ट्राइक के बाद अब स्लीपर सेल पर कार्रवाई की तैयारी
पाकिस्तान के जवाबी हमले के लिए सरकार 'सतर्क'
नई दिल्ली: उड़ी हमले के जवाब में नियंत्रण रेखा के पार सर्जिकल स्ट्राइक करने के बाद केंद्र सरकार अब देश के भीतर आतंकवादियों के स्लीपर सेल पर कार्रवाई के लिए सतर्क हो गई है. गृह मंत्रालय की ओर से राज्य सरकारों को सतर्क रहने के लिए कहा गया है.
सरकार को आशंका है कि पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई जवाबी सैनिक कार्रवाई के बजाए भारत के भीतर स्लीपर सेल के एजेंटों को सक्रिय कर गड़बड़ी फैला सकती है. सर्जिकल स्ट्राइक पर सरकार और बीजेपी की जोश के बजाए सधी प्रतिक्रिया के लिए यही वजह बताई जा रही है.
सूत्रों के अनुसार, अगर स्लीपर सेल की ओर से कोई आतंकवादी कार्रवाई होती है तो देश की जनता सरकार से वैसी ही जवाबी कार्रवाई की उम्मीद करेगी जैसी उड़ी के बाद सर्जिकल स्ट्राइक के ज़रिए की गई, लेकिन सरकार के लिए ऐसा करना मुश्किल है, क्योंकि भारतीय नागरिकों के खिलाफ कानून के मुताबिक ही कार्रवाई संभव है.
सूत्रों के अनुसार, शीर्ष स्तर पर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद की कार्रवाई को लेकर व्यापक योजना तैयार की गई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया था कि इस बारे में सिर्फ डीजीएमओ की ओर से ही ऐलान किया जाएगा.
वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बीजेपी नेताओं और प्रवक्ताओं की बैठक भी हुई. जिस समय डीजीएमओ जवाहर भवन में सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में ऐलान कर रहे थे, पार्टी मुख्यालय पर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के साथ वित्त मंत्री अरुण जेटली और सूचना प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू भी मौजूद थे. शाह के कमरे में सभी पार्टी प्रवक्ताओं को भी बुलाया गया था, जिन्होंने टीवी पर इस प्रेस कॉंफ़्रेंस को देखा. सीसीएस की बैठक से जेटली सीधे यहां पहुंचे थे. बाद में बीजेपी प्रवक्ताओं को बताया गया कि उन्हें क्या प्रतिक्रिया देनी है.
सूत्रों के अनुसार, सभी वरिष्ठ मंत्रियों को ज़िम्मेदारी दी गई थी कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद किसे क्या करना है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के ज़िम्मे विभिन्न राजदूतों से संपर्क कर उन्हें भारतीय जवाबी कार्रवाई के बारे में जानकारी देना था. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर उन्हें इस बारे में बताने का काम भी उन्हें दिया गया.
गृह मंत्री राजनाथ सिंह से कहा गया कि वे सीमाई राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात कर उन्हें सतर्क रहने को कहें. राजनीतिक मोर्चा भी उन्होंने संभाला. उनकी अगुवाई में गृह मंत्रालय में सभी दलों की बैठक हुई, जिसमें वित्त मंत्री अरुण जेटली और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर भी शामिल हुए.