वाघा सीमा पर अब नहीं होगा बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम
चंडीगढ़। बौखलाए पाकिस्तान को करारा जवाब देने के लिए बीएसएफ ने बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम को रद्द कर दिया है। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने अटारी-वाघा सीमा पर स्थित अटारी संयुक्त जांच चौकी (जेसीपी) पर प्रतिदिन होने वाला रिट्रीट समारोह रद्द कर दिया है। साथ ही बीएसएफ के जवानों ने इसे देखने आने वाले लोगों को करीब एक किलोमीटर पहले ही वापस लौटा दिया गया।
इससे पहले यह कार्यक्रम नवंबर 2014 में रद्द की गई थी, जब पाकिस्तान की तरफ एक आत्मघाती हमलावर ने अपने आपको भीड़ में उड़ा लिया था। इस हमले में 55 लोग मारे गए थे। यही नहीं 1965 और 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान भी इसका आयोजन रोक दिया गया था।
अटारी सीमा अमृतसर से 30 किलोमीटर दूर है। आधिकारिक सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि बीएसएफ और जिला प्रशासन ने रिट्रीट समारोह देखने आने वाले लोगों और पर्यटकों को गुरुवार को अटारी की ओर नहीं जाने को कहा है। यह स्पष्ट नहीं है कि यह समारोह फिर कब से शुरू होगा।
भारत और पाकिस्तान की सीमाओं के रक्षक क्रमश: बीएसएफ और पाकिस्तान रेंजर्स अटारी वाघा जेसीपी पर हर शाम सूर्यास्त के समय रिट्रीट समारोह करते हैं। आधे घंटे के इस कार्यक्रम को हर दिन दोनों देशों के सैकड़ों लोग देखते हैं।
बीटिंग रिट्रीट के दौरान अटारी बॉर्डर पर हर शाम दोनों देशों के राष्ट्रीय ध्वज को पूरे जोशोखरोश के साथ चढ़ाया और उतारा जाता है। इसकी शुरुआत 1959 में हुई। इस दौरान देशभक्ति गानों के बाद करीब 156 सेकेंड का बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी होती है। इस दौरान, दोनों देशों के जवान मार्च करते हुए बॉर्डर तक आते हैं। पाकिस्तान की ओर से रेंजर्स और भारत की ओर से बीएसएफ के जवान इसमें शामिल होते हैं। जवान मार्च के दौरान अपने पैर जितना ऊंचा ले जाते हैं, उसे उतना बेहतर माना जाता है।
दोनों देशों के जवान जितनी बार जोर से चिल्लाते हैं, दर्शकों की भीड़ उतना ही उनका हौसला बढ़ाती है। इसके बाद, जवान अपने राष्ट्रीय ध्वज को एक साथ उतारते हैं। आखिर में, जवान कभी बेहद सरलता से तो कभी बेहद गुस्से से एक-दूसरे को देखते हुए हाथ मिलाते हैं। इसके बाद दोनों देशों के दरवाजे बंद हो जाते हैं।