लोग उन्ही से मांगते हैं, जो देने में समर्थ हैं: प्रोफेसर आलोक धवन
लखनऊ: पचहत्तर वर्ष किसी भी संगठन की प्रगति में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद की प्लेटिनम जुबली (सीएसआईआर) सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया। समारोह के व्याख्यान उद्यमशीलता की सफलता के विवरण एवं विज्ञान क्षेत्र में युवा प्रतिभाओं को पहचानने पर केन्द्रित थे।
सभा का स्वागत करते हुए प्रोफेसर आलोक धावन, निदेशक, सीएसआईआर – भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान ने माननीय प्रधानमंत्री द्वारा सीएसआईआर परिवार को संबोधित व्याख्यान का उल्लेख करते हुए अपने संबोधन में कहा, ‘‘लोग उन्ही से मांगते हैं, जो देने में समर्थ हैं”। प्रोफेसर धावन ने कहा, ‘‘इस देश के नागरिकों की आकांक्षाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी हम पर है और यह हमारा दायित्व है कि नवीन एवं रचनात्मक प्रतिभाओं का पोषण करें एवं सुनिश्चित करें कि रचनात्मकता की लौ उज्ज्वल रहे”।
समारोह की अध्यक्षता डॉ एसपीएस खनूजा, निदेशक और मेंटर, स्काइस लाइफ टेक्नोलोजी प्राइवेट लिमिटेड और पूर्व निदेशक सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौध संस्थान, लखनऊ ने की। इस अवसर पर कई पूर्व निदेशक एवं वैज्ञानिक भी उपस्थित रहे।
डा तस्लीमआरिफ सैयद, निदेशक और सीओओ सेंटर फॉर सेलुलर एंड मोलिकुलर प्लेटफॉर्मस (सी-कैंप), बेगलुरु ने “एकोसिस्टम फॉर फोस्टेरिंग कटिंग एज लाइफ साइंस/हेल्थकेयर इनोवेशन” विषय पर सीएसआईआर स्थापना दिवस व्याख्यान दिया। उन्होने जोर देकर कहा कि समय की आवश्यकता है कि शिक्षा और उद्योग की र्खाइं को पाटा जाए। इस विचार से जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार (डीआइए) द्वारा डिस्कवरी टु इनोवेशन एक्सेलेरेटर परिकल्पित किया गया। यह केंद्र अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों से सुसज्जित है और देश में विकसित प्रौद्योगिकियों को ‘लेब टु लैंड’ तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होने कई उदाहरण दिये जिसमे विज्ञान के क्षेत्र में किए गए आविष्कारों का रूपान्तरण समाज की भलाई के लिए उपयोगी तकनीक विकसित करने में किया गया। उन्होने इस दिशा में सी-कैंप द्वारा किए गए कार्यों तथा सहयोग का भी उल्लेख किया।
अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ एसपीएस खनूजा ने भारतीय पौराणिक कथाओं के पात्रों और सफल सीईओ/सीओओ के बीच एक समानांतरता को दर्शाया। उन्होंने कहा कि दृष्टि, कौशल और प्रबंधन के एक इष्टतम संयोजन ने उन्हें अपने-अपने प्रयासों में सफलता दिलाई। उन्होंने अगली पीढ़ी के अग्रणी वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे उदाहरण प्रस्तुत करें कि कैसे नो-हाऊ को शो-हाऊ और डू-हाऊ में परिवर्तित किया जा सकता है।
इस अवसर पर संस्थान ने अपने उन कर्मचारियों को भी सम्मानित किया जिन्होने सेवा के 25 साल पूरे किए तथा वे जो पिछले वर्ष में सेवानिवृत्त हुए। सीएसआईआर कर्मचारियों के बच्चों के लिए आयोजित निबंध लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को भी पुरस्कार प्रदान किए गए। एक विशेष मान्यता पुरस्कार ला मार्टिनियर कॉलेज, लखनऊ के युवा अन्वेषक मास्टर यश निगम को प्रदान किया गया जो कि नई दिल्ली में सम्मानित छात्रों में लखनऊ से एकमात्र छात्र है।