दलित और मुसलमान एक साथ खाएंगे खाना, जमीअत उलमा की मुहीम
लखनऊ। जमियत उलमा हिन्द के राष्ट्रीय अभियान के तहत जमियत उलमा उत्तर प्रदेश बारह दरी कैसर बाग लखनऊ में 29 सितंबर दिन गुरुवार को देश में राष्ट्रीय व धार्मिक एकता बनाए रखने के लिए ‘‘ दलित मुस्लिम संयुक्त खान पान’’ ग्यारह बजे से दो बजे दिन तक और जमियत के जिम्मेदारों व कार्यकर्ताओं को अधिक सक्रिय बनाने और व्यावहारिक कामों में बढ़चढ़ कर भाग लेने की भावना को बढ़ाने के लिये सुबह साढ़े आठ बजे से साढ़े दस बजे तक उत्तर प्रदेश राज्य के सभी जिलों के पदाधिकारियों की कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है जिसमे हजरत अल्हाज मौलाना सैयद महमूद असद मदनी महासचिव जमियत उलमा हिन्द तथा अन्य शीर्ष पदाधिकारी भागीदारी कर रहे हैं यह जानकारी जमियत उलेमा के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक उसामा क़ासमी ने दी।
मौलाना उसामा कासमी ने कार्यक्रम के महत्व व आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मुहम्मद स0अ0व0 ने जुल्म का अन्त करके सभी इंसानों के साथ समान व्यवहार करने की शिक्षा दी है। ब्रह्मांड के रचयिता को अपने सभी प्राणी प्रिय हैं किसी इंसान को तकलीफ पहुँचाना, अधिकारों का हनन व भेदभाव करना अल्लाह के नजदीक हरगिज पसंदीदा नहीं, मनुष्य होना हमारा विकल्प नहीं प्रकृति का वरदान है मगर मानवता(इंसानियात) बनाए रखना हमारे वश में है, हमें जिस शिक्षा को ग्रहण करने की जरूरत सबसे ज्यादा है वह मानवता का है। दुनिया का कोई भी समाज तब तक सभ्य नहीं हो सकता जब तक वहाँ सभी मनुष्यों के साथ समान व्यवहार नहीं हो रहा हो। अगर कहीं, किसी भी व्यक्ति के साथ किसी भी तरह का, भेदभाव बरता जाता है, तो वह समाज सभ्य बल्कि मानवता के नाम पर एक कलंक होगा। हमारे प्यारे देश भारत में भी प्राचीन दौर के एक विशेष समुदाय को भी इंसान के सामाजिक अधिकारों और मानव सिद्धांत के विरूद्ध अत्यंत पिछड़ा, वंचित और मजलूम बनाकर रखा गया। देश की आजादी के बाद संवैधानिक तौर इस वर्ग को समानता के विकल्प दिए गए, सरकारी नौकरियों, शिक्षा और अन्य विकास कार्यों में इसको आरक्षण आवंटित किया गया, लेकिन सामाजिक तौर पर आज भी इसका हाल वही है, जो प्राचीनकाल में था। आज भी इस वर्ग के साथ रोटी-बेटी का रिश्ता स्थापित नहीं हो सका। बल्कि विकास के इस दौर में भी अक्सर अमानवीय व्यवहार किया जाता है। जमीअत उलेमा ने प्रारम्भ से ही ऐसे अनैतिक, अमानवीय लोगों का न सिर्फ विरोध किया है , बल्कि पीड़ित वर्ग को न्याय दिलाने तथा उसे सामाजिक और नैतिक रूप से आगे बढ़ाने के लिए अपने स्तर पर व्यावहारिक उपाय भी किए हैं। इसी संदर्भ में जमियत उलमा हिन्द के राष्ट्रीय अभियान के तहत जमियत उलमा उत्तर प्रदेश से दलित-मुस्लिम एकता पर आधारित समारोह 29 सितंबर को नेशनल कंफेडरेशन ऑफ दलित आदिवासी का संयुक्त रूप से ग्यारह बजे से दो बजे दिन तक दलित मुस्लिम संयुक्त खान पान कार्यक्रम का आयोजन होगा जिसमें जमियत उलमा के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना सैयद महमूद असद मदनी और कनफेडरेशन के अध्यक्ष श्री अशोक भारतीय विशेष तौर शिरकत कर रहे हैं। इसके अलावा जमियत उलेमा के शीर्ष पदाधिकारियों व प्रमुख दलित नेता भी शामिल हो रहे हैं। इससे पहले जमियत उलेमा के जिम्मेदारों कार्यकर्ताओं से संगठन को मजबूत करने और उसकी विचारधारा के अनुसार पूरी जानकारी के साथ व्यावहारिक कार्यों में लग जाने की प्रेरणा देने के लिए कार्यशाला का आयोजन सुबह साढ़े आठ बजे से साढ़े दस बजे तक होगा। जिसमें उत्तर प्रदेश प्रांत के हर जिले से पदाधिकारी व कार्यकर्ता भाग ले रहे हैं और इसी दिन बाद 05ः00 बजे मौलाना मदनी प्रेमी जमियत उलमा उत्तर प्रदेश के लम्बे समय तक कोषाध्यक्ष रहे अल्हाज सैयद मुहम्मद मतीन साहब के निधन पर शोक सभा भी होगी। मौलाना उसामा ने बताया कि खान पान का यह कार्यकर्म सिर्फ भाषणों तक सीमित नहीं है बल्कि संयुक्त खान पान के साथ एकता और सहमति का व्यावहारिक प्रदर्शन भी होगा। सुबह 11 बजे से होने वाले कार्यशाला में पदाधिकारियों के विचार व्यक्त होने के बाद सामूहिक रूप से खान-पान का कार्यक्रम भी रहेगा, जिसमें एक ही थाल में दलित-मुस्लिम सामूहिक रूप से भोजन करेंगे, और इस बात का व्यावहारिक प्रदर्शन करेंगे कि केवल कहने, या गले लगाने से नहीं जमियत उलमा एक साथ खाने पीने और पूरी तरह अधिकारों का हक अदा करने में विश्वास रखती है । केवल भाषण के जरिये नहीं बल्कि व्यावहारिक रूप में भी समानता बनाए रखने में प्रयासरत है और यही समय का तकाजा है कि सिर्फ एकता का नारा लगाने से कुछ नहीं होगा बल्कि इसका व्यावहारिक सबूत भी पेश करना होगा। मौलाना उसामा क़ासमी ने उम्मीद जताई कि पूरे प्रांत से दो सौ से अधिक दलित और दो सौ से अधिक उलमा, इमामों और जमियत के जिम्मेदार व कार्यकर्ता खान-पान में शरीक होंगे।