पुस्तकें अकेलेपन की साथी होती हैं – राज्यपाल
राज्यपाल ने राष्ट्रीय पुस्तक मेला का उद्घाटन किया
लखनऊ: गये साल मैं राज्यपाल की हैसियत से पुस्तक मेला का उद्घाटन करने आया था। पर इस बार मैं लेखक भी बन गया हूँ। बचपन से लेकर राजभवन आने तक के संस्मरण मेरी पुस्तक ‘‘चरैवेति! चरैवेति!! के रूप में प्रस्तुत किये गये हैं। अप्रैल 2016 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फडनवीश ने मराठी संस्करण का लोकार्पण किया था। शीघ्र ही हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी और गुजराती भाषाओं में भी पुस्तक ‘‘चरैवेति! चरैवेति!! का प्रकाशन किया जायेगा।
उक्त विचार उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज मोती महल लाॅन में 14वें राष्ट्रीय पुस्तक मेला के उद्घाटन समारोह में व्यक्त किये। इस अवसर पर संयोजक श्रीमती आस्था ढल, श्री आकर्षण जैन, के0टी0 फाडण्डेशन के श्री मुरलीधर आहूजा, श्री सर्वेश अस्थाना सहित बड़ी संख्या में पुस्तक प्रेमी उपस्थित थे। राज्यपाल ने पुस्तक मेला की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह स्वागतयोग्य है कि इस वर्ष पुस्तक मेला की थीम ‘महिला सशक्तिकरण‘ पर केन्द्रित है, जबकि गत वर्ष पुस्तक मेला ‘भारतीय संविधान‘ पर आधारित था।
राज्यपाल ने कहा कि पुस्तकंे अकेलेपन की साथी होती हैं। ऐसे साथियों को अपने साथ रखना चाहिए। लखनऊ कला की राजधानी है। बुद्धजीवि, विद्यार्थीगण और शिक्षकगण सहित आम नागरिक भी पुस्तक मेला का लाभ उठायें। अच्छा पाठक वही है जो किताब खरीदकर पढे़। मराठी में मुहावरा है कि जो पढे़गा वही बचेगा। पढ़ते रहने से ज्ञान बढ़ता है। ज्ञान और जानकारी में फर्क है। उन्होंने कहा कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए किताब पढ़ना जरूरी है।
श्री नाईक ने कहा कि पुस्तक मेला में महिला सशक्तिकरण का भाव स्वागतयोग्य है। महिलाओं के प्रति समाज में सोच बदलनी चाहिए। भू्रण हत्या, दहेज हत्या और आये दिन महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों के प्रति समाज में जागरूकता लाने की आवश्यकता है। समय बदल रहा है। विश्वविद्यालय स्तर पर यह देखने में आया है कि 65 प्रतिशत महिलायें स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक प्राप्त कर रही हैं। बेहतर अवसर मिलता है तो बेटियाँ मेहनत के आधार पर आगे बढ़ती हैं। घर के काम-काज के साथ बेटियाँ पढ़ाई के प्रति भी गंभीर हैं। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह सशक्तिकरण का एक चित्र है जिसे आगे ले जाने की जरूरत है।
राज्यपाल ने बताया कि विधायक, सांसद और मंत्री रहते हुए उन्होंने महिलाओं के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हुए उनकी सुविधा के लिए महिला लोकल टेªन, धुंआ रहित रसोई के लिए ज्यादा से ज्यादा गैस कनेक्शन जारी करना, पर्वतीय क्षेत्र के लोगों के लिए पांच किलो के छोटे सिलेण्डर उपलब्ध कराना, स्तनपान प्रोत्साहन के लिए डिब्बा बंद शिशु आहार पर यह लिखना कि ‘माँ का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है‘, जैसे कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर किया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा सुविधा मिले, इस पर विचार करने की जरूरत है।