कुछ लोग नेताजी की सरलता का लाभ उठाते हैं: राम गोपाल यादव
नई दिल्ली: मुलायम परिवार मे चल रही कलह पर रामगोपाल यादव ने भी आज मुहर लगा दी. उन्होंने कहा है कि सीएम को अध्यक्ष पद से हटाना नेतृत्व की ग़लती रही. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से कह देते कि इस्तीफ़ा दे दें, तो शायद ये ग़लतफ़हमी न होती. उन्होंने ये भी कहा कि शिवपाल यादव से छीने गए तीन मंत्रालय उन्हें लौटाने या गायत्री प्रजापति और राजकिशोर सिंह को दोबारा मंत्री बनाने के लिए अखिलेश यादव अभी तैयार नहीं हैं.
खबर है कि 17 तारीख को मुलायम के घर पर दावत का आयोजन किया गया है. इस दावत में सिर्फ यादव परिवार के लोग ही शरीक होंगे.
समाजवादी पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव ने पत्रकारों से कहा कि 'परिवार में कोई कलह नहीं है. अगर कोई विवाद है तो वो दूर हो जाएगा'. उन्होंने कहा कि 'अगर सीएम खुद फैसले लेते हैं, तो वह अस्वाभाविक नहीं. थोड़ी से गलतफहमी हुई'. मीडिया से मुखातिब होते हुए रामगोपाल यादव ने कहा कि 'कुछ लोग नेताजी की सरलता का लाभ उठाते हैं. ऐसे लोग जिनको पार्टी के हित से कोई लगाव नहीं, ऐसे लोग पार्टी का नुकसान कर देते हैं, नेताजी की सरलता का फायदा उठाते हैं. कल यही बात अखिलेश यादव ने अप्रत्यक्ष तौर पर कही'.
यादव परिवार में कथित अलगाव से पार्टी के नुकसान होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि 'यह चुनाव का वक्त है और हर वक्त हस्तक्षेप सीएम थोड़े ही बर्दाश्त करेंगे'. हालांकि उन्होंने कहा, अखिलेश किसी से नाराज नहीं हैं. एक्शन कही से शुरू होता है, तो कही से रिएक्शन जरूरत होता है. ऐसा स्वाभाविक है. रामगोपाल यादव ने कहा कि 'अखिलेश और मुलायम यादव की जल्द बातचीत होने की संभावना है, जिसका इंतजार है. अंतिम फैसला मुलायम सिंह यादव को ही लेना है'. ज्यादातर फैसले नेताजी की राय से ही होते हैं.
उधर, अखिलेश यादव द्वारा हाल ही में कैबिनेट मंत्रियों गायत्री प्रजापति और राजकिशोर को बर्खास्त कर दिए जाने के मुद्दे पर रामगोपाल ने यह भी कहा कि 'अगर मैं मुख्यमंत्री होता तो राजकिशोर को नहीं निकालता'.
इससे पहले रामगोपाल यादव ने कहा कि 'कई बार ऐसा होता है कि कुछ फैसले हो जाते हैं, जिससे लोगों को लगता है कि पार्टी में कोई दिक्कत है. ऐसा सभी पार्टियों में किसी न किसी परिस्थिति के कारण हो जाता है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जो भी फैसले लिए, ज्यादातर पार्टी अध्यक्ष के कहने पर हुए और कुछ फैसले, जैसा कि उन्होंने कहा, खुद लिए. उत्तर प्रदेश जैसे राज्य का चीफ मिनिस्टर अगर कोई फैसले अपनी तरफ से लेते हैं, तो कोई अस्वाभाविक बात नहीं है. किसी मामूली प्वाइंट पर अगर कोई अंतर हो जाता है तो उसका समाधान भी हो जाता है. सीधी सी बात है कि मुख्यमंत्री (अखिलेश यादव) को जब पार्टी अध्यक्ष पद से हटाया गया, तो नेतृत्व से थोड़ी से जान-बूझकर न सही, लेकिन इतनी गलती हो गई कि उनसे अगर इस्तीफा मांग लेते तो वो इस्तीफा दे ही देते. इससे कोई समस्या ही नहीं होती. इस चक्कर में थोड़ी से गलतफ़हमी हुई और कोई बात नहीं. शिवपाल यादव के विभाग उन्हें वापस दिए जाएंगे या नहीं, इस मसले पर अभी इसलिए नहीं कह सकते क्योंकि मुख्यमंत्री से भेंट नहीं हुई है, लेकिन सुधार करने की कोशिश की जाएगी'.
इसी बीच, शिवपाल यादव ने कहा कि मुझे यूपी का अध्यक्ष नेताजी ने बनाया है और अखिलेश को उन्हीं ने हटाया है. 2017 में हमें सरकार बनानी है. मुझ पर संगठन मजबूत करने की जिम्मेदारी है. नेताजी जो जिम्मेदारी देंगे, वह निभाऊंगा. इसके साथ ही शिवपाल ने कहा कि अमर सिंह को मुलायम ही लाए थे.
उन्होंने लखनऊ में कहा कि सब लोगों को नेताजी का जो भी आदेश होगा उससे मानना है. नेताजी जहां पर भी जिम्मेदारी देंगे, वो सभी को निभानी है. नेताजी के फैसले को कोई चैलेंज भी नहीं कर सकता. 2011 में मैं प्रदेश अध्यक्ष था, तब भी इसी तरह मुझे इस जिम्मेदारी से हटाकर अखिलेश को पदभार दिया गया था. नेताजी ने तो सोच समझकर ही बनाया होगा. अंतिम फैसला उन्हीं का होगा.