दो साल के उच्चस्तर पर पहुंची मुद्रास्फीति
नई दिल्ली : थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में बढ़कर 3.74 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो इसका दो साल का उच्चस्तर है। दालों और विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी से थोक मुद्रास्फीति बढ़ी है। हालांकि, इस दौरान सब्जियों की कीमतों में गिरावट भी आई। जुलाई में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 3.55 प्रतिशत पर थी। अगस्त, 2015 में यह शून्य से 5.06 प्रतिशत नीचे थी। इससे पहले अगस्त, 2014 में यह 3.74 प्रतिशत के उच्च स्तर पर थी।
अगस्त में सब्जियों की मुद्रास्फीति घटकर 0.17 प्रतिशत रह गई, जबकि जुलाई में यह 28.05 प्रतिशत थी। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अगस्त में दालों की महंगाई दर 34.55 प्रतिशत रही। इसी तरह समीक्षाधीन महीने में आलू 66.72 प्रतिशत महंगा हुआ, वहीं प्याज 64.19 प्रतिशत सस्ता हुआ। चीनी की महंगाई दर 35.36 प्रतिशत रही। वहीं माह के दौरान फल 13.91 प्रतिशत महंगे हुए।
कुल मिलाकर अगस्त में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति घटकर 8.23 प्रतिशत रह गई, जो जुलाई में 11.82 प्रतिशत पर थी। नवंबर, 2014 से मार्च, 2016 तक थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति नकारात्मक दायरे में रही। पिछले पांच महीनों से यह लगातार बढ़ रही है। हालांकि, कुछ उत्पादों मसलन पेट्रोल और खनिजों में अपस्फीति का रख जारी है। समीक्षाधीन महीने में पेट्रोल 8.65 प्रतिशत सस्ता हुआ, वहीं खनिजों के दाम 3.44 प्रतिशत घटे। जून माह के थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़ों को उपर की ओर संशोधित कर 2.12 प्रतिशत किया गया है। पहले इसका अस्थायी अनुमान 1.62 प्रतिशत लगाया गया था।
जहां थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति बढ़ रही है वहीं खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में पांच माह के निचले स्तर 5.05 प्रतिशत पर आ गई। खुदरा मुद्रास्फीति में कमी तथा जुलाई में औद्योगिक उत्पादन में 2.4 प्रतिशत की गिरावट के बाद रिजर्व बैंक की अगली 4 अक्तूबर की मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में कटौती की संभावना बढ़ी है। पिछले महीने आखिरी मौद्रिक समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रखी थी।