ममता ने टाटा को दिया उद्योग लगाने का निमंत्रण
नई दिल्ली: जिस ममता बनर्जी ने 2008 में टाटा को सिंगूर छोड़कर जाने को मजबूर कर दिया था उसी ममता बनर्जी ने अब टाटा से कहा है कि अगर वह गंभीर है तो बंगाल में आकर उद्योग शुरू कर सकता है. बुधवार को ममता बनर्जी ने सिंगूर में किसानों को जमीन के कागज लौटाए और उद्योगपति टाटा को निमंत्रण दिया कि वे राज्य में दूसरी जगह नए सिरे से कारखाना लगाएं.
ममता बनर्जी ने कहा कि ''गुआलतोड़ (पश्चिम मिदनापुर) में हमारे पास 1000 एकड़ जमीन है. यह जमीन किसानों की नहीं सरकार की है. इस जमीन पर अगर कारखाना लगाना चाहें, टाटा हो या बीएमडब्लू , वह हमारी सरकार से बात कर सकता है.''
सन 2008 में किसानों के आंदोलन के बाद टाटा को अपनी मिनी कार नैनो का कारखाना सिंगूर से हटाकर गुजरात के साणंद में लगाना पड़ा. ममता बनर्जी विपक्षी नेता के तौर पर इस विरोध प्रदर्शन का चेहरा रहीं. लेकिन अब पश्चिम बंगाल सरकार राज्य में उद्योगों की रफ्तार बढ़ाने के लिए टाटा को कहीं और जमीन देने के लिए तैयार है. ममता बनर्जी ने टाटा को बंगाल के पश्चिम मिदनापुर में 1000 एकड़ जमीन देने की बात तो कही ही है, राज्य सरकार यह भी कह रही है कि पुरुलिया में 600 एकड़, खड़गपुर में 800 एकड़ और बर्धमान में 700 एकड़ जमीन उद्योगों के लिए है.
उधर विपक्ष कह रहा है कि ममता बनर्जी सिर्फ हवाई किले बना रही हैं. पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि पश्चिम मिदनापुर इलाके में कोई भी उद्योगपति कारखाना लगाने नहीं आएगा. चौधरी ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि ''ममता बनर्जी क्या सोचती हैं कि टाटा क्या वहां आने को तैयार होगा. गुआलतोड़ माओवाद प्रभावित इलाका है. वहां टाटा को कहीं लैंडमाइन मिलेगा तो कहीं बम मिलेगा.'' चौधरी ने यह भी कहा कि ममता बनर्जी जिस लैंड-बैंक की बात कर रही हैं वह एक भुलावा है. ''राज्य में कहीं भी एक हजार एकड़ जमीन एक साथ नहीं है. कहीं एक कठ्ठा जमीन है तो फिर उससे एक किलोमीटर दूर ढाई कट्ठा जमीन मिलेगी. एक साथ जमीन उद्योगों को देने के लिए नहीं है.''
असल में टाटा सिंगूर में जमीन के बदले अब सरकार से मुआवजा मांग रहा है. सरकार कैश मुआवजे के बदले जमीन का प्रस्ताव दे रही है. ममता बनर्जी ने सिंगूर में टाटा के कारखाने और नंदीग्राम में कैमिकल हब का विरोध कर किसान हितैषी छवि तो बना ली लेकिन अब राज्य में निवेश को बढ़ावा देने के लिए ऐसा संदेश देना जरूरी है. कहा जा रहा है कि बनर्जी की यह कोशिश इसी मुहिम का हिस्सा है.