कश्मीर में बढ़ेगी सेना की भूमिका
श्रीनगर: अशांत दक्षिणी कश्मीर के ग्रामीण इलाकों में सैकड़ों और सैनिकों को तैनात किया जाने वाला है, जिससे सेना की भूमिका बढ़ जाने के स्पष्ट संकेत मिलते हैं.
जानकारी के अनुसार, सेना की अतिरिक्त मौजूदगी का मकसद 'इलाकों पर काबिज रहने' और 'पहले से ज़्यादा गश्त' के ज़रिये उन प्रदर्शनकारियों को 'संकेत देना' है, जो हिज़्ब-उल-मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी की दो महीने पहले हुई मौत के वक्त से ही हिंसक विरोध-प्रदर्शनों में जुटे हुए हैं, और इलाके को अशांत बनाए हुए हैं. इसके साथ ही इसका उद्देश्य उपद्रवियों के खिलाफ गश्त को बढ़ाना भी है.
वैसे, सेना भी यह बात अच्छी तरह समझती है कि वे भीड़ और हिंसक प्रदर्शनों से निपटने के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि उनके सैनिकों के पास सिर्फ ऑटोमैटिक हथियार होते हैं, तथा उन्हें प्रशिक्षण भी गोली मार देने का दिया जाता है, जो इन मामलों में नहीं किया जा सकता. इसीलिए, पुलिस की मूलभूत ज़िम्मेदारियां जम्मू एवं कश्मीर पुलिस तथा अर्द्धसैनिक केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के पास ही रहेंगी, जिनके पास हिंसक भीड़ पर काबू पाने के लिए अघातक हथियार मौजूद रहते हैं.
सूत्रों ने बताया कि इस पूरी कवायद का मूल उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में राज्य सरकार के नियंत्रण को वापस बहाल करना है, जो पिछले दिनों में कुछ कम हो गया है.
घाटी तथा नियंत्रण रेखा से सटे इलाकों में सुरक्षा स्थिति का जायज़ा लेने के लिए सेनाप्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग शुक्रवार को जम्मू एवं कश्मीर आ रहे हैं. उन्हें वरिष्ठ सेनाधिकारी तथा स्थानीय फॉरमेशन कमांडर स्थिति के बारे में ब्रीफिंग देंगे.
8 जुलाई को बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से सुरक्षाकर्मियों तथा प्रदर्शनकारियों के बीच हुए संघर्षों में अब तक 70 से ज़्यादा लोगों की जानें जा चुकी हैं, और 10,000 से ज़्यादा लोग घायल हुए हैं, जिनमें ज़्यादातर सुरक्षाकर्मी हैं.