किर्गिज़िस्तान में ‘विश्व बंजारा खेल’ की शुरूआत
भारत समेत 40 देशों की टीमें शामिल
चोलपोन अता (किर्गिज़िस्तान)। किर्गिज़िस्तान के राष्ट्रपति अलमाज़बेक अतामबायेव की परिकल्पना पर आधारित दुनिया में सबसे अनोखे, भव्य और व्यवस्थित बंजारा खेलों के दूसरे आयोजन का शुभारंभ किर्गिज़िस्तान के इसिक कुल झील के किनारे हुआ। इस टूर्नामेंट में भारत समेत 40 देशों के बंजारा खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं। इसमें सिर्फ़ परम्परागत खेल ही आयोजित होंगे।
किर्गिज़िस्तान के राष्ट्रपति अलमाज़बेक अतामबायेव की परिकल्पना पर 2014 में पहली बार विश्व बंजारा खेल शुरू हुए और हर दो साल में एक बार होने वाले खेल के इस सीज़न का खेल भी किर्गिज़िस्तान ने ही आयोजित किया। किर्गिज़िस्तान शब्द का अर्थ होता हैं ‘हम 40 जनजातियाँ’। इस देश के महान् योद्धा और स्वतंत्रता सेनानी मनास ने विदेशी हमलों से बचने के लिए अपनी 40 जनजातियों को एकजुट किया था और इस भूमि को एक किया था। सोवियत संघ से अलग होने के बाद से किर्गिज़िस्तान अपनी जनजातीय पहचान के साथ उभरा विश्व का सबसे सुन्दर देश है।
विश्व बंजारा खेलों में फिलहाल 16 खेलों के लिए खिलाड़ी जुटे हैं। ‘अबू कुरोश’ तुर्की की परम्परागत कुश्ती है, ‘अलीश’ परम्परागत किर्गिज़ बेल्ट पहलवानी है, ‘सिरिट’ तुर्की की घोड़े से भाला फेंकने की कला है, ‘एर एनिश’ किर्गिज़िस्तान की घोड़े पर पहलवानी है जिसमें विरोधी को घोड़े से गिराना होता है, ‘गोरेश’ तुर्कमेनिस्तानी पहलवानी है जिसमें विरोधी को गिराया जाता है और पाँव के अलावा शरीर के अन्य अंग छूने पर प्रतिद्वन्द्वी को अंक मिलते हैं, ‘गुलेश’ अज़रबाइजान की कंधा पहलवानी है जिसमें कंधे टकराए जाते हैं, परम्परागत घुड़दौड़ के चार प्रकार के खेल जाते हैं, ‘कज़ाख़ कुरैश’ कज़ाख़स्तान का बंजारा खेल है जिसमें विरोधी को गिराना होता है, ‘कोक बोरू’ खेल का अर्थ है सलेटी भेड़िया जिसमें घोड़े पर दो टीमें मृत जानवर को अपनी गोल पोस्ट पर खींचते हैं जो नियत समय में जितनी बार इसे उठा ले गया वही टीम विजयी होती है, ‘किर्गिज़ कुरोश’ में पेट पर बेल्ट बाँधकर पहलवानी की जाती है, ‘मांगला’ तुर्की के आदीवासियों का खेल है जो शतरंज जैसा कहा जा सकता है जिसमें दोनों खिलाड़ियों के पास 48 पत्थर होते हैं और उन्हें छह गड्ढों से जीतना पड़ता है, ‘मास पहलवानी’ यकूतिया के आदीवासियों का खेल है जिसमें दो पहलवान लकड़ी के फट्टे के सहारे डंडे से ज़ोर आज़माइश करते हैं, ‘ओर्दो’ किर्गिज़िस्तान का पुराना बंजारा खेल है जिसमें ज़मीन पर नक़्शा बनाकर दोनों तरफ़ के महल की तरफ़ बढ़ना होता है इस खेल में रणनीति सीखी जाती है, ‘सलबुरून’ में तीन प्रकाश की शिकार प्रतियोगिताएँ होती हैं, ‘तोगुज़ कोरगुल’ खेल किर्गिज़िस्तान का खेल है जो ‘मांगला’ की तरह होता है जिसमें नौ गड्ढ़ों में पड़े पत्थरों को जीतना होता है, ‘अचान जा आतू’ घोड़े पर चलते हुए तीरंदाज़ी का खेल है जिसमें एक खिलाड़ी को पाँच मौक़े मिलते हैं और बाद में अधिकांश निशाने पर लगने वाले तीर के आधार पर विजेता का फ़ैसला होता है।
विश्व बंजारा खेल की परिकल्पना राष्ट्रपति अलमाज़बेक अतामबायेव की है जिसमें वह किर्गिज़िस्तान को लोगों के साथ साथ विश्व बंजारा खेलों की परम्परा को सहेजने में कामयाब हुए हैं। अतामबायेव किर्गिज़िस्तान की जिस झील के किनारे यह आयोजन करवा रहे हैं वह ‘इसिक कुल’ झील विश्व की दूसरी सबसे बड़ी और संरक्षित झील है जिसमें 147 नदियों का पानी आकर गिरता है।