राष्ट्रीय संप्रभुता के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं
नई दिल्ली: कश्मीर में शांति बहाली की कोशिशें विफल होने के बाद बुधवार को दिल्ली में फिर से जम्मू-कश्मीर के मसले पर सर्वदलीय बैठक हुई। गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में बैठक संसद भवन परिसर में हुई। जानकारी के अनुसार, इस दौरान कश्मीर के हालात के साथ-साथ अलगाववादियों को लेकर सरकार ने अगले कदम और रणनीति पर चर्चा की। सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य अपने कश्मीर दौरे के दौरान निकाले गए निष्कर्षों पर चर्चा के लिए बुधवार को यहां बैठक की।
जानकारी के अनुसार, जम्मू-कश्मीर से संबंधित सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि राष्ट्रीय संप्रभुता के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं हो सकता है। सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने केन्द्र और जम्मू कश्मीर सरकार से ‘सभी पक्षकारों’ के साथ बातचीत शुरू करने की अपील की। सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने शांति और बातचीत के लिए अपील करते हुए कहा कि नागरिक समाज में हिंसा का कोई स्थान नहीं है।
इस हफ्ते जम्मू-कश्मीर का दौरा करने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल (एपीडी) ने बुधवार को केंद्रीय एवं राज्य सरकारों से ‘सभी हितधारकों’ से बातचीत करने के लिए कहा लेकिन साथ ही जोर दिया कि राष्ट्रीय संप्रभुता के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं हो सकता।
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल ने आज यहां बैठक की और गत चार एवं पांच सितंबर को कश्मीर की यात्रा के दौरान सिविल सोसाइटी, राजनीतिक दलों एवं सरकारी अधिकारियों के साथ हुई अपनी बातचीत के नतीजों पर चर्चा की। एपीडी ने बैठक के बाद सर्वसम्मति से जारी किए गए एक बयान में राज्य के लोगों से हिंसा का रास्ता छोड़ने और बातचीत एवं चर्चा के जरिये सभी मुद्दों का हल करने की अपील की।
हुर्रियत कांफ्रेंस सहित अलगाववादियों की तरफ कोई इशारा किए बिना बयान में केंद्र एवं राज्य सरकारों से ‘सभी हितधारकों के साथ बातचीत के लिए कदम उठाने’ को कहा गया है। जहां कुछ विपक्षी नेता विभिन्न उपकारागारों में बंद हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं से मिले वहीं हुर्रियत के कट्टरपंथी धड़े के प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी ने उनसे मिलने से मना कर दिया। बयान में राज्य की मौजूदा स्थिति को लेकर गंभीर चिंता जताते हुए कहा गया कि प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों का मानना है कि एक सभ्य समाज में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। इसमें कहा गया, राष्ट्रीय संप्रभुता के मुद्दों पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
इस बैठक के बाद जितेंद्र सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। सभ्य समाज में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। घाटी में घायलों के इलाज के लिए उचित व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने कहा कि कश्मीर पर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की अपील यह है कि बातचीत के जरिये समस्या का हल निकले। घाटी में स्कूल कॉलेज जल्द खुलें।
बैठक में दोनों सरकारों से कहा गया कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए कि राज्य में शिक्षा संस्थानों, सरकारी कार्यालयों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों का कामकाज जल्द से जल्द सामान्य हो। उन्होंने सरकार से सभी नागरिकों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने और आंदोलन में घायल हुए नागरिकों एवं सुरक्षाकर्मियों को इलाज मुहैया कराने के लिए प्रभावी कदम उठाने का अनुरोध किया। बैठक के बाद माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि उन्होंने तत्काल विश्वास बहाली के उपाय शुरू करने का समर्थन किया जिसमें पैलेट गन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने, घायलों को चिकित्सीय मदद उपलब्ध कराने और सुरक्षा बलों के कथित अत्याचारों की जांच कराना शामिल है।
गौर हो कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बीते दिनों कुछ सांसदों से मिलने से इनकार करने पर अलगाववादियों की खरी खोटी सुनायी थी। कुछ सांसदों से मिलने से हुर्रियत नेताओं के बिल्कुल इनकार कर देने से नाखुश सिंह ने कहा था कि उनका बर्ताव लोकतंत्र, इंसानियत एवं कश्मीरियत के विपरीत है। रविवार को श्रीनगर में हुर्रियत नेताओं ने अपने दरवाजे बंद कर लिए थे। सिंह ने 20 दलों के 26 सांसदों वाले प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई की थी। प्रतिनिधिमंडल दोपहर को जम्मू में रूकने से पहले रात को श्रीनगर में ठहरा था। जम्मू में कुछ घंटे रुकने के बाद वह दिल्ली लौट आया था।