तारीख पर तारीख गंभीर बीमारी है
राज्यपाल का सेंट्रल बार एसोसिएशन के शताब्दी वर्ष समारोह में संबोधन
लखनऊ: सेंट्रल बार एसोसिएशन के 108 वर्ष पूरे होने पर आज एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने गांधी भवन में शताब्दी समारोह का आयोजन किया। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक मुख्य अतिथि के तौर पर सम्मिलित हुए तथा विशिष्ट अतिथि के तौर पर न्यायमूर्ति श्री अनंत कुमार व न्यायमूर्ति श्री महेन्द्र दयाल उपस्थित थे। समारोह में जनपद न्यायाधीश श्री वीरेन्द्र कुमार, एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री मृगेन्द्र कुमार, मण्डी परिषद के निदेशक एवं पूर्व जिलाधिकारी श्री राजशेखर सहित बड़ी संख्या में अधिवक्तागण उपस्थित थे। राज्यपाल ने इस अवसर पर वरिष्ठ अधिवक्ताओं को शाल व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
राज्यपाल ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वकीलों के प्रति समाज में बहुत आदर है। वे ‘आफिसर्स आफ द कोर्ट‘ का दायित्व निभाते हैं। पीड़ितों के दुःख को न्यायपालिका के समक्ष रखकर न्यायपालिका की मदद करते हैं। सामान्य आदमी का सबसे ज्यादा विश्वास न्यायपालिका पर है। वादी आशा के साथ न्याय प्राप्त करने जाता है परन्तु समय पर न्याय न मिलना पीड़ा की बात है। तारीख पर तारीख गंभीर बीमारी है। अधिवक्ता अपने अधिकार, कर्तव्य और दायित्व में समन्वय बनायें। अधिवक्तागण यह कोशिश करें कि न्यायिक प्रक्रिया पर जनता का विश्वास बना रहें। उन्होंने कहा कि शताब्दी वर्ष में संकल्प लें कि वादी को न्याय जल्दी दिलाने के लिए प्रमाणिकता से प्रयास करेंगे।
श्री नाईक ने अपने सम्बोधन में कुछ आकडे़ प्रस्तुत करते हुए कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय एवं इसकी लखनऊ पीठ में 7 लाख से ज्यादा वाद लम्बित है, जिसमें से 62.3 प्रतिशत वादों में सरकार प्रतिवादी है। संविधान के तीन स्तम्भ हैं विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका, जो एक-दूसरे को जिम्मेदारी देते हुए पारस्परिक निर्भरता से काम करते हैं। कानून में परिवर्तन करने का अधिकार विधायिका को है। कार्यपालिका का कार्य कानून का पालन कराना है और न्यायपालिका को संविधान के विरूद्ध कानून को दरकिनार करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि अधिवक्ता न्याय दिलाने जैसी जिम्मेदारी में उच्च मापदंड स्थापित करें।
राज्यपाल ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के रिक्त पदों को शीघ्र भरने के लिए उन्होंने राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी से मिलकर अनुरोध किया है। राष्ट्रपति ने आश्वासन दिया है कि वे इस संबंध में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं कानून मंत्री से बात करेंगे। उन्होंने कहा कि न्यायिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए तथा वादियों को शीघ्र न्याय उपलब्ध कराने की दृष्टि से न्यायपालिका में न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि जिला स्तर के न्यायालयों के संबंध में अधिवक्ताओं द्वारा रखे गये मांग पत्र पर वे आवश्यकतानुसार मुख्य न्यायाधीश इलाहाबाद उच्च न्यायालय तथा मुख्यमंत्री से भी वार्ता करेंगे।
इस अवसर पर न्यायमूर्ति श्री महेन्द्र दयाल, न्यायमूर्ति श्री अनंत कुमार व जिला न्यायाधीश श्री वीरेन्द्र कुमार ने भी अपने विचार रखे।