यूपी में सरकारी प्रक्रियाओं का डिजिटलाइज़ेशन जरूरीः एसोचैम
लखनऊ: देश के शीर्ष उद्योग मण्डल एसोचैम ने उत्तर प्रदेश सरकार को विभिन्न सरकारी प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण का स्तर सुधारने और उसे विस्तार देने का सुझाव दिया है। उसका कहना है कि ऐसा करने से व्यावसायिक गतिविधियां आसानी से और कम समय में सुनिश्चित हो सकेंगी। इससे सरकारी एजेंसियों से सम्पर्क की औपचारिकताएं भी कम होंगी, नतीजतन भ्रष्टाचार की आशंका भी कम होगी।
‘द एसोसिएटेड चैम्बर्स आॅफ काॅमर्स एण्ड इण्डस्ट्री आॅफ इण्डिया’ (एसोचैम) और थाॅट आर्बिटरेज रिसर्च इंस्टीट्यूट (टारी) द्वारा ‘ईज आॅफ डूइंग बिजनेस इन उत्तर प्रदेश’ विषयक अध्ययन में उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य में व्यापार करने में आसानी के लिये उठाये गये शासकीय कदमों के कुल नतीजों की वास्तविकता का पता लगाने के उद्देश्य से प्राथमिक अनुसंधान प्रणालियों के जरिये एक विस्तृत अध्ययन करने सुझाव दिया गया है।
एसोचैम के राष्ट्रीय महासचिव डी. एस. रावत और टारी की निदेशक सुश्री क्षमा कौशिक ने आज लखनऊ में आयोजित संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में यह अध्ययन रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि ‘‘प्रशासन को राज्य के विभिन्न तंत्रों तथा प्रक्रियाओं की लगातार निगरानी करनी चाहिये। साथ ही पुरानी प्रक्रियाओं में आमूल-चूल बदलाव कर या उन्हें खत्म करके नये व्यापारिक परिदृश्य को ध्यान में रखकर नयी प्रक्रियाएं निर्धारित करनी चाहिये।’’
श्री रावत ने कहा कि ‘‘उत्तर प्रदेश देश का सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य है। ऐसे में यहां ईज आॅफ डूइंग बिजनेस में सुधार किये जाने से रोजगार सृजन पर ना सिर्फ प्रदेश के अंदर बल्कि उसकी सीमाओं के बाहर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।’’
उन्होंने कहा ‘‘राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे नियामक सुधार और निवेश मित्र में एकल खिड़की प्रणाली, उद्योग सम्बन्धी समस्याओं के आॅनलाइन समाधान की प्रणाली, वैट पंजीयन प्रमाणपत्र एक ही दिन के अंदर जारी करने, ई-स्टाम्पिंग सुविधा, श्रम कानूनों के अनुपालन के लिये स्व-प्रमाणन, ई-संचरण प्रणाली शुरू किये जाने जैसे कदम सही दिशा में जा रहे हैं।’’
उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास की व्यापक सम्भावनाएं हैं। हालांकि अभी उनका पूरी तरह से इस्तेमाल होना बाकी है। चूंकि राज्य सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में 10 प्रतिशत की औसत विकास दर हासिल करने का लक्ष्य तय किया है, इसलिये उसे विनिर्माण, मूलभूत ढांचा तथा सेवा क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित करना होगा, ताकि उसकी विशाल श्रमशक्ति के लिये रोजगार के ज्यादा अवसर उपलब्ध हो सकें।