हाजी अली की मज़ार पर अब जा सकेंगी महिलाएं
मुम्बई हाई कोर्ट का फैसला, तृप्ति देसाई ने मनाया जश्न
मुंबई। मुंबई की हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए महिलाओं को प्रवेश की इजाजत दे दी है। कोर्ट के इस फैसले के बाद अब महिलाएं हाजी अली दरगाह में मजार के अंदर तक जा सकती हैं। कोर्ट ने महिलाओं को इसकी इजाजत दे दी है। तृप्ति देसाई और भूमाता ब्रिगेड की कार्यकर्ता ने गुलाल के साथ हाई कोर्ट के फैसले का जश्न मनाया।
यचिकाकर्ता के वकील राजू मोरे ने कहा कि कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाजी अली में महिलाओं को प्रवेश की इजाजत दे दी है। मुस्लिम महिला आंदोलन का जो कहना था उसको मानते हुए कोर्ट ने पाबंदी को हटा दिया है। कोर्ट ने कहा है कि जैसे 4 साल पहले तक महिलाओं को जाने की इजाजत थी उसी तरह वो अब भी जा सकती हैं।
उन्होंने कहा कि ट्रस्ट वालों ने कोर्ट में कहा है कि हमें 8 हफ्ते का वक्त दिया जाए जिससे हम सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकें। इस पर हमने इसका विरोध किया और कहा कि ये तो पुरानी स्थिति हो जाएगी। कोर्ट ने कहा कि क्योंकि ये बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है इसलिए हम फिलहाल 6 हफ्ते का स्टे अपने ऑर्डर पर देते हैं ताकि आप सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकें।
याचिकाकर्ता ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'हाई कोर्ट ने हमें आजादी दी है। हाई कोर्ट ने माना है कि महिलाओं को जाने की इजाजत होगी। फिलहाल 6 हफ्ते तक हम नहीं जा सकते लेकिन 6 हफ्ते बाद जरूर जाएंगे। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट वाले कहते थे कि वो देखेंगे महिलाएं कैसे अंदर जाती हैं। अब कोर्ट ने इसे साफ कर दिया है। उन्हें सुप्रीम कोर्ट जाना है तो जाएं, वहां भी देख लेंगे।' आखिर में सभी ने भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन जिंदाबाद के नारे लगाए।
वहीं, भूमाता ब्रिगेड की तृप्ति देसाई ने कहा कि खुशी जताते हुए कहा कि कोर्ट ने हमें हमारा अधिकार वापस दिया है। जो अधिकार अभी तक हमसे छीना जा रहा था वो कोर्ट ने वापस दिया है। हमें बेहद खुशी है. भूमाता ब्रिगेड इसका स्वागत करती है। उन्होंने आगे कहा कि रविवार सुबह हम भूमाता ब्रिगेड वाले सम्मानपूर्वक हाजी अली दरगाह की मजार तक जाएंगे। तृप्ति ने आगे कहा कि हम कहते हैं कि अब शबरीमाला मंदिर में प्रवेश के लिए जाना चाहिए।
एमआईएम पार्टी के नेता हाजी रफत हुसैन ने कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि कोर्ट को बीच में नहीं आना चाहिए था। हम इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे। वहां बैन लगा है तो वो रहना चाहिए था। कोर्ट का बीच में आना धर्म के खिलाफ है। कोर्ट को इतनी जल्दबाजी दिखाने की क्या जरूरत थी? उन्होंने कहा कि इतने सालों से बाबरी मस्जिद का मामला अटका पड़ा है उस पर कोई फैसला नहीं हुआ है। हमारे देश में वैसे ही सांप्रदायिक माहौल चल रहा है। जब से हिंदुस्तान की ये नई बीजेपी की हुकूमत आई है तब से ये सब हो रहा है। इस्लाम में महिलाओं को मजार के पास जाने के लिए पाबंदी है और ऐसा मजहब में हैं।
बता दें कि साल 2011 तक सभी महिलाओं को दरगाह के अंदर जाने की अनुमति थी लेकिन साल 2012 में इस पर रोक लगा दी गई। हाजी अली में महिलाओं को मजार तक प्रवेश न मिलने के खिलाफ नूरजहां सफिया ने अगस्त 2014 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें हाईकोर्ट से सूफी संत हाजी अली के मकबरे तक महिलाओं के प्रवेश की इजाजत मांगी थी। अदालत ने दोनों पक्षों को आपसी सहमति से मामला सुलझाने को भी कहा, लेकिन दरगाह के अधिकारी महिलाओं को प्रवेश न देने पर अड़े हुए थे।