नरसिंह ने टेबलेट के रूप में कई बार ली प्रतिबंधित दावा: खेल पंचायत
नई दिल्ली। रियो ओलंपिक के दौरान, पहलवान नरसिंह यादव पर चार साल का प्रतिबंध लगाने के बाद खेल पंचाट (कैस) ने फैसला दिया है कि नरसिंह अपने खाने पीने से छेड़छाड़ के दावे के संदर्भ में कोई भी ‘वास्तविक साक्ष्य’ नहीं दे पाया है। साथ ही ‘कैस’ का कहना है कि संभावनाओं के आधार पर लगता है कि उसने जानबूझकर, एक से अधिक मौके पर प्रतिबंधित पदार्थ टैबलेट के रूप में लिया था।
साक्ष्य पर निर्भर रहते हुए, खेल पंचाट ने अपने पूर्ण फैसले में बताया है कि नरसिंह का डोप अपराध केवल एक बार प्रतिबंधित पदार्थ के सेवन के कारण नहीं है। उन्होंने बताया कि 25 जून को हुए पहले परीक्षण के नतीजे में पदार्थ का अंश काफी अधिक था, जो कि मिथेनडाइनोन की एक या दो टैबलेट खाने पर ही हो सकता है न कि पानी के साथ पाउडर का मिश्रण करने पर।
यह विशेषज्ञ नजरिया कनाडा की प्रोफेसर क्रिस्टियान अयोटे ने दिया है जिन्होंने विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी की ओर से पक्ष रखा था। क्रिस्टियान, वाडा से मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला की निदेशक हैं।
18 अगस्त को खेल पंचाट ने पदक के उम्मीदवार माने जाने वाले पहलवान नरसिंह को, मुकाबले से महज कुछ घंटों पहले ही उस पर चार साल का प्रतिबंध लगाया था। इसके बाद से ही नाडा द्वारा नरसिंह को दी गई स्वीकृति पर सवाल खड़े होने लगे थे।
मामले की सुनवाई करते हुए कैस के पैनल ने कहा, ‘‘कुल मिलाकर छेड़छाड़ का दावा सही होने की संभावना हो सकती है लेकिन ऐसा तय नहीं है और निश्चित तौर पर इसकी मजबूती के लिए कोई वास्तविक साक्ष्य मुहैया नहीं कराया गया। पैनल ऐसे में नतीजे पर पहुंचा है कि खिलाड़ी अपने साक्ष्यों को संतुष्ट करने में नाकाम रहा है और पैनल संतुष्ट है कि सबसे अधिक संभावना इसकी है कि खिलाड़ी ने जानबूझकर एक से अधि मौके पर प्रतिबंधित पदार्थ टैबलेट के रूप में खाया।”
ओलंपिक शुरू होने से पहले, 25 जून को नरसिंह के मूत्र का नमूना लिया गया था जिसमें मिथेनडाइनोन के अंश पाए गए थे। फिर पांच जुलाई को प्रतियोगिता के इतर लिए गए एक अन्य नमूने में भी मिथेनडाइनोन के लंबे समय तक रहने वाले अंश नरसिंह के नमूने में पाए गए।
हालांकि तब नरसिंह ने कहा था कि डोपिंग का यह अपराध छेड़छाड़ के कारण हुआ है और उन्होंने इसके पीछे अपने जूनियर पहलवान जितेश का हाथ होने का दावा भी किया था।