लखनऊ: राज्यसभा में नेता विपक्ष एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव गुलाम नबी आजाद ने आज लखनऊ विश्वविद्यालय में राजीव गांधी स्टडी सर्किल के ’’आधुनिक भारत निर्माण और राजीव गांधी’’ विषयक राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन करते हुये कहा कि भारतीय अखण्डता एवं लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाने में राजीव गांधी ने बेमिसाल योगदान दिया। सच तो यह है कि उसकी वेदी पर उन्होंने अपना बलिदान दे दिया। विघटन, धर्मोन्माद, अलगाव और आतंक के खतरों से जिस तरह उन्होंने देश और उसके लोकतंत्र को बचाया और दूरदृष्टि के साथ 21वीं सदी के लिये तैयार किया। उस योगदान को भुलाया नहीं जा सकता था।
श्री आजाद ने कहा कि पंजाब, असम, मेघालय और कश्मीर में आतंक और अलगाव की आग देश की एकता और लोकतंत्र दोनों को झुलसा रहे थे। श्रीलंका की आतंक की लपटे भी हमारी एकता को चुनौती दे रही थी। इन सब चुनौतियों को राजीव जी ने संवाद और समझौतो की लोकतंात्रिक रणनीति से समाधान के अंजाम तक पहुँचाया। चीन, अमेरिका और सभी पड़ोसी मुल्कों के साथ उन्होंने आत्मीय विश्वास का सम्बंध बनाया और उनसे भारत के युवा नेतृत्वकर्ता के रूप में असाधारण इज्जत हासिल की।
उन्होंने कहा कि देश में जब धर्मोन्माद की आग कुछ लोग सुलगा रहे थे, राजीव जी ने 21वीं सदी के लिये देश को तैयार करने की राजनीति की, पंचायतों के द्वारा सत्ता विकेन्द्रित करने एवं 18 साल के युवा को राजनीतिक हक देने की पहल की, सूचना प्रौद्योगिकी और कम्प्यूटर क्रांति का सूत्रपात कर फादर आफ डिजिटल इंडिया बन गये। आर्थिक सुधारों और लोक कल्याण की नीतियों में समयोजन बनाकर भारत को मजबूती से आगे बढ़ाने की पहल की।
सेमिनार के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता सर्किल के राष्ट्रीय सह समन्वयक प्रो. सतीश राय ने और तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रदेश के पूर्व शिक्षामंत्री डा0 अम्मार रिजवी ने की। संचालन एवं स्वागत सर्किल के प्रदेश समन्वयक डा0 विनोद चन्द्रा ने और धन्यवाद ज्ञापन लखनऊ समन्वयक डा0 धु्रव त्रिपाठी ने किया।
सेमिनार के मुख्य वक्ता और राजनीति विज्ञान प्रो. रमेश दीक्षित ने कहा कि राजीव गांधी ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मोर्चो पर समान रूप से कठिन दौर में देश को कुशल नेतृत्व दिया।
डा0 अम्मार रिजवी ने कहा कि राजीव जी जितने अच्छे राजनेता थे उतने ही अच्छे इंसान। सेमिनार को सम्बोधित करने वालों में शामिल थे सर्वश्री प्रो. डी.आर.साहू, नरेश मिश्रा, डा0 प्रमोद पाण्डेय, प्रो. महरूफ खान, डा0 विक्रांत।
उद्घाटन सत्र में सर्वश्री जतिन प्रसाद, डा0 राजेश मिश्रा, सिराज मेंहदी, फजले महसूद, वी.पी. सिंह आदि मौजूद थे।