सिंधु से अब सोने की उम्मीद
नई दिल्ली: लंदन में हुए पिछले ओलिंपिक के बैडमिंटन सिंगल्स इवेंट में साइना नेहवाल भारत के लिए मेडल जीतकर लाई थीं. चार वर्ष बाद अब यह काम पीवी सिंधु ने कर किया है. सिंधु ने गुरुवार को जबर्दस्त प्रदर्शन करते हुए जापान की नोजोमी ओकुहारा को हराते हुए महिला सिंगल्स इवेंट के फाइनल में स्थान बना लिया है. सिंधु के लिहाज से खास बात यह रही कि जहां साइना को सेमीफाइनल में मिली हार के बाद तीसरे-चौथे स्थान के लिए हुए मैच को जीतकर ब्रांज हासिल किया था, वहीं सिंधु ने फाइनल में स्थान बनाकर अपना गोल्ड या सिल्वर पक्का कर लिया है.
पुसारला वेंकट सिंधु यानी पीवी सिंधु को खेल अपने माता-पिता से विरासत में मिला. उनके पिता पीवी रमन्नाऔर मां पी. विजया दोनों वालीबॉल के खिलाड़ी रहे हैं. पिता रामन्ना तो खेलों में अपने योगदान के लिए बेटी की तरह अर्जुन अवार्ड भी जीत चुके हैं. आठ साल की कच्ची उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू करने वाली सिंधु के करियर में बड़ा मोड़ तब आया जब वे गोपीचंद की बैडमिंटन एकेडमी से जुड़ीं. यहां से सिंधु की कामयाबी का ग्राफ चढ़ता गया. सब जूनियर और जूनियर लेवल पर उन्होंने कई खिताब अपने नाम किए.
कॉमनवेल्थ यूथ गेम्स और एशियन जूनियर चैंपियनशिप में सिंगल्स वर्ग को गोल्ड जीतने वाली सिंधु ने जल्द ही सीनियर लेवल पर भी चमक दिखानी शुरू की दी. सिंधु साउथ एशियन गेम्स, एशियाड, कॉमनवेल्थ गेम्स और वर्ल्ड चैंपियनशिप जैसे हर बड़े इवेंट में मेडल जीत चुकी हैं. वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में तो उन्होंने दो बार ब्रॉन्ज मेडल जीतने की उपलब्धि हासिल की है. इन तमाम उपलब्धियों के बाद सिंधु के घर के 'शोकेस' में कमी थी तो केवल ओलिंपिक मेडल की, जिसे उन्होंने गुरुवार के अपने प्रदर्शन से हासिल कर लिया. महिला सिंगल्स का फाइनल मुकाबला यह तय करेगा कि सिंधु के घर के शोकेस की शान बनने वाले इस मेडल का रंग पीला (गोल्ड) रहेगा या सफेद (सिल्वर). वैसे यह तय है कि पूरे ओलिंपिक में शानदार प्रदर्शन के बाद वर्षों से ओलिंपिक मेडल्स के लिए तरसते रहे भारतीय खेलप्रेमी उनके पीले मेडल की ही उम्मीद लगाए हैं।