गंगा सफ़ाई पर मोदी से गंभीर थे मनमोहन
लखनऊ: लगभग सवा दो साल पहले भाजपा द्वारा प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनाए गए नरेन्द्र मोदी ने उत्तरप्रदेश की बनारस लोकसभा सीट से नामांकन भरने के पहले सार्वजनिक रूप से कहा था “पहले मुझे लगा था मैं यहां आया, या फिर मुझे पार्टी ने यहां भेजा है, लेकिन अब मुझे लगता है कि मैं मां गंगा की गोद में लौटा हूं”. तब मोदी ने सार्वजनिक रूप से भावुक होते हुए कहा था “न तो मैं आया हूं और न ही मुझे भेजा गया है.दरअसल, मुझे तो मां गंगा ने यहां बुलाया है.यहां आकर मैं वैसी ही अनुभूति कर रहा हूं, जैसे एक बालक अपनी मां की गोद में करता है. मोदी ने उस समय यह भी कहा था कि वे गंगा को साबरमती से भी बेहतर बनाएंगे.
पर अब लखनऊ की ‘आरटीआई गर्ल’ 14 वर्षीय ऐश्वर्या पाराशर की एक आरटीआई पर भारत सरकार के जल संसाधन,नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय द्वारा दिए गए जवाब को देखकर लगता है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी चुनाव से पूर्व गंगा नदी की सफाई पर किये गए अपने बड़े बड़े वादों को शायद भूल गए हैं और गंगा
नदी की साफ-सफाई के लिए नरेंद्र मोदी सरकार की बहुप्रचारित नमामि गंगे योजना महज फाइलों, सरकारी विज्ञापनों, राजनैतिक आयोजनों और राजनैतिक बयानबाजी तक ही सिमट कर रह गयी है.
ऐश्वर्या ने बीते 09 मई को प्रधानमंत्री कार्यालय में एक आरटीआई अर्जी देकर नमामि गंगे योजना पर केंद्र सरकार द्वारा किये गए खर्चों, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित बैठकों और गंगा के प्रदूषण को रोकने के सम्बन्ध में 7 बिन्दुओं पर जानकारी चाही थी. प्रधानमंत्री कार्यालय के अवर सचिव और केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी सुब्रतो हाजरा ने बीते 6 जून को ऐश्वर्या को सूचित किया कि नमामि गंगे योजना से सम्बंधित कोई भी जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय में नहीं है और ऐश्वर्या की अर्जी अधिनियम की धारा 6(3) के अंतर्गत भारत सरकार के जल संसाधन,नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग को अंतरित कर दी. जल संसाधन,नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अवर सचिव एवं जन सूचना अधिकारी के. के. सपरा ने बीते 4 जुलाई के पत्र के माध्यम से ऐश्वर्या को जो सूचना दी है वह अत्यधिक चौंकाने वाली है और नमामि गंगे योजना के क्रियान्वयन को लेकर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वास्तव में गंभीर होने पर एक बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा रही है.
ऐश्वर्या को दी गयी सूचना के अनुसार सरकार बनाने के बाद से अब तक केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने गंगा की साफ-सफाई के लिए निर्धारित बजटीय आबंटन में कटौती तो की ही है साथ ही साथ सरकार आबंटित बजट की धनराशि को खर्च करने में भी विफल रही है.
सपरा ने ऐश्वर्या को बताया है कि वित्तीय वर्ष 2014-15 में गंगा सफाई के राष्ट्रीय अभियान के लिए 2137 करोड़ रुपयों का बजटीय आवंटन निर्धारित किया गया था जिसमें 84 करोड़ की कटौती कर संशोधित आबंटन 2053 करोड़ किया गया किन्तु सरकार इस वित्तीय वर्ष में महज 326 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाई तो वहीं वित्तीय वर्ष 2015 16 में इस अभियान के लिए 2750 करोड़ रुपयों का बजटीय आवंटन निर्धारित था जिसमें 1100 करोड़ की भारीभरकम कटौती कर संशोधित आबंटन 1650 करोड़ किया गया किन्तु सरकार इस वित्तीय वर्ष में भी 1632 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाई. इस प्रकार केंद्र सरकार वितीय वर्ष 2014-15 में आबंटित धनराशि में से 1727 करोड़ रुपये खर्च नहीं कर पाई और वितीय वर्ष 2015-16 में भी 1100 करोड़ की भारीभरकम कटौती के बाद किये गए संशोधित बजटीय आबंटन में से भी 18 करोड़ रुपये खर्च नहीं कर पाई है.
ऐश्वर्या को देने के लिए 20 जून को तैयार की गई इस सूचना के अनुसार वित्तीय वर्ष 2016-17 में गंगा सफाई के राष्ट्रीय अभियान के लिए 2500 करोड़ रुपयों का बजटीय आवंटन निर्धारित किया गया है पर इस आबंटन के सापेक्ष संशोधित आबंटन या बास्तविक खर्चों की कोई भी सूचना केंद्र सरकार के पास नहीं है.
ऐश्वर्या ने एक विशेष बातचीत में कहा कि हालाँकि माँ गंगा के आशीर्वाद ने नरेंद्र मोदी को न केवल बनारस से लोकसभा में पंहुचाया अपितु उनकी पार्टी को आशातीत सफलता का आशीर्वाद देते हुए मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पंहुचाया पर लगता है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद हमारे प्रधानमंत्री गंगा मां से किये अपने वायदों को भूल गए हैं. गंगा साफ-सफाई पर बजटीय आबंटन के सापेक्ष वित्तीय वर्ष 2014-15 में महज 15% खर्च और वित्तीय वर्ष 2015-16 में भी मात्र 59% खर्च पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए ऐश्वर्या ने वित्तीय वर्ष 2016-17 में गंगा सफाई के राष्ट्रीय अभियान के लिए महज 2500 करोड़ रुपयों का बजटीय आवंटन निर्धारित किये जाने को गंगा
साफ-सफाई पर अगले 5 वर्षों में 20000 करोड़ रुपये खर्च करने की मोदी सरकार की बीते साल 13 मई में की गयी घोषणा के आधार पर नाकाफी बताया.
ऐश्वर्या कहती हैं कि गंगा सफाई पर हुई बैठकों की सूचना के लिए मुझे वेबसाइट को देखने का निर्देश दिया गया था. ऐश्वर्या के अनुसार जब उन्होंने वेबसाइट को देखा तो उनको पता चला कि साल 2009 में राष्ट्रीय गंगा नदी घाटी प्राधिकरण (एनजीआरबीए) के गठन से अब तक इसकी 6 बैठकें हुईं हैं जिनमें से 3 बैठक क्रमशः दिनांक 05-10-2009, 01-11-2010 और 17-04-2012 को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में हुईं और 3 बैठक क्रमशः दिनांक 27-10-2014, 26-03-2015 और 04-07-2016 को वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में. ऐश्वर्या ने बताया कि इन बैठकों के कार्यवृत्तों को डाउनलोड कर देखने पर मालूम चला कि जहाँ एक तरफ
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल में हुई तीनों बैठकों की अध्यक्षता की तो वहीं वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कार्यकाल में हुई 3 बैठकों में से एक मात्र दिनांक 26-03-2015 की बैठक में ही उपस्थित रहे और बाकी 2 बैठकों की अध्यक्षता जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने की. ऐश्वर्या बताती हैं कि राष्ट्रीय गंगा नदी घाटी प्राधिकरण (एनजीआरबीए) के पदेन अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री होते हैं और सामान्यतया इस प्राधिकरण की बैठकों की अध्यक्षता भारत के प्रधानमंत्री के द्वारा की जानी चाहिए किन्तु वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस प्राधिकरण की दिनांक 27-10-2014 और 04-07-2016 की बैठक में अनुपस्थिति से गंगा साफ-सफाई पर उनके वास्तव में गंभीर होने पर प्रश्नचिन्ह तो लग ही रहा है.
ऐश्वर्या ने बताया कि वे अपने ‘अंकल मोदी’ को पत्र लिखकर उनसे अनुरोध करेंगी कि वे आगे से ‘नमामि गंगे’ योजना पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान देकर गंगा को निर्धारित समयान्तर्गत साफ करायें और माँ गंगा से किये अपने सभी वादे पूरे करें. ऐश्वर्या को विश्वास है कि विश्व में भारत के नाम का डंका बजबाने वाले उसके ‘अंकल मोदी’ उसके पत्र का संज्ञान लेकर गंगा को साफ कराकर एक नई मिसाल कायम करने में कामयाब होंगे.