भाषाओं में तुलना नहीं बल्कि समता का भाव रखना चाहिए: राम नाईक
राज्यपाल ने अब्बास रज़ा नैय्यर की तीन पुस्तकों का विमोचन किया
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के विभागाध्यक्ष अब्बास रज़ा नैय्यर द्वारा लिखित तीन पुस्तकों ‘रसाई तऩकीदें‘, ‘तऩकीदी बहसें‘ एवं ‘ख़्वाजा अहमद अब्बास‘ का विमोचन किया। कार्यक्रम का आयोजन उर्दू राईटर्स फोरम द्वारा किया गया था। विमोचन समारोह मंे डाॅ0 अम्मार रिज़वी, प्रोफेसर शारिब रूदौलवी, अनवर जलालपुरी, अवधनामा ग्रुप के वकार रिज़वी सहित बड़ी संख्या में विद्वतजन उपस्थित थे। इस अवसर पर तारिक कमर ने एक नज़्म प्रस्तुत की।
राज्यपाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सभी भारतीय भाषाएं राष्ट्रीय हैं, जिनमें हिन्दी बड़ी बहन है। देश में राष्ट्रीय भाषा हिन्दी के बाद उर्दू प्रयोग की जाने वाली दूसरी बड़ी भाषा है। भाषाओं में तुलना नहीं बल्कि समता का भाव रखना चाहिए क्योंकि भाषा लोगों को जोड़ने के लिए होती है। सभी भारतीय भाषायें सम्मान के योग्य हैं। भाषा का अपना कोई घर नहीं होता बल्कि भाषा हर थोड़ी दूरी पर बदलती है। उन्होंने कहा कि साहित्य का जितना भाषांतरण होगा उसका उतना ज्यादा लाभ लोगों तक पहुंचेगा।
श्री नाईक ने कहा कि टी0वी0 और इंटरनेट के युग में लोगों में किताबें पढ़ने की आदत कम हो गयी है। पुस्तक पढ़ने से मन को शांति मिलती है तथा पुस्तकें जिन्दगी भर साथ रहती हैं। पढ़ने का कार्य जीवन में आवश्यक है। किताब का विषय कोई भी हो, पढ़ने वाले व्यक्ति को अपनी रूचि के अनुसार समाधान मिलता है। किताब खरीदकर पढ़ने की आदत डालें। उन्होंने कहा कि पुस्तक खरीदने से लेखक को भी आगे सृजन करने का प्रोत्साहन मिलता है।
राज्यपाल ने कहा कि अगले साल वे उर्दू में भाषण करेंगे। दूसरों की जुबान से उर्दू भाषा सुनकर बहुत अच्छा लगता है। मराठी भाषी होने के कारण उर्दू के शब्दों का प्रयोग सुगमता से नहीं कर पाते है। उर्दू उत्तर प्रदेश की दूसरी सरकारी भाषा है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही उर्दू का प्रशिक्षण कार्यक्रम राजभवन में आयोजित किया जायेगा, जिसमें अपनी रूचि के अनुसार राजभवन के अधिकारी और कर्मचारी सहभाग करेंगे।
डाॅ0 अम्मार रिज़वी ने राज्यपाल राम नाईक की तारीफ करते हुए कहा कि ‘‘नाईक साहब के आने से राजभवन में नया मोड़ देख रहे हैं। पूर्व के सभी राज्यपालों से अच्छे संबंध रहे हैं, मगर राम नाईक साहब ने लोगों का दिल जीता है।‘‘
प्रोफेसर शारिब रूदौलवी ने कहा कि डाॅ0 अब्बास रज़ा की तीन पुस्तकें अलग-अलग विषय पर हैं। तीन नई किताबों को लिखना ऐतिहासिक है और यह पुस्तकें अगली नस्लों का मार्गदर्शन करेंगी। उन्होंने राज्यपाल द्वारा उर्दू के लिए किए जा रहे प्रयास की सराहना की।
कार्यक्रम में अनवर जलालपुरी, कुलपति लखनऊ विश्वविद्यालय प्रो0 एस0बी0 निमसे, वकार रिज़वी सहित अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में उर्दू विभागाध्यक्ष डाॅ0 अब्बास रज़ा नैय्यर ने धन्यवाद ज्ञापित किया तथा कार्यक्रम का संचालन डाॅ0 साबरा हबीब ने किया।