कश्मीर में पैलट गन के इस्तेमाल पर हाईकोर्ट ने केंद्र को लगाईं फटकार
श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने अर्धसैनिक बलों द्वारा पैलट गन के इस्तेमाल के लिए केंद्र की आलोचना की और उससे स्पष्ट करने को कहा कि क्यों लोगों को घुटनों के ऊपर और ज्यादातर आंखों में चोट आई है। अदालत ने कहा कि ऐसा उन दावों के बावजूद हुआ जिसमें कहा गया था कि सुरक्षा बल प्रशिक्षित कानून प्रवर्तन एजेंसियां हैं।
एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश एन पॉल वसंतकुमार और न्यायमूर्ति मुजफ्फर हुसैन अत्तर की पीठ ने कहा, ‘आप भीड़ को नियंत्रित करने का कर्तव्य निभा रहे हैं लेकिन किसी सभ्य समाज में कैसे आप भीड़ को नियंत्रित करते हैं क्योंकि वे आपके अपने लोग हैं, वे विदेशी नहीं हैं और न ही वे बाह्य अंतरिक्ष से आए हैं और आपपर पेलट फेंक रहे हैं। उन्हें आप अपने लोग ही मानें।’
पीठ ने कहा, ‘आप उन्हें अपने लोग नहीं मान रहे हैं।’ पीठ ने कहा कि सरकार दावा करती है कि सीआरपीएफ कर्मी पैलट गन के इस्तेमाल को लेकर प्रशिक्षित हैं लेकिन उसने यह नहीं स्पष्ट किया कि लोगों को कैसे घुटने के ऊपर और ज्यादातर मामलों में आंखों में चोट आ रही है।
अदालत ने सहायक सॉलीसीटर जनरल से कहा, ‘आपने यह स्पष्ट नहीं किया कि कैसे घुटने के ऊपर चोट आ रही है और ज्यादातर मामलों में आंखों को क्षति पहुंच रही है। आप उसे स्पष्ट नहीं कर रहे हैं।’
पीठ ने कहा, ‘आप प्रशिक्षित हैं। आप उनके प्रशिक्षण के बारे में कई बातें कह रहे हैं लेकिन आप यह नहीं कह रहे हैं कि क्यों लोगों को घुटने के ऊपर चोट आ रही है और उनकी आंखों को क्षति पहुंच रही है। आप वह नहीं कह रहे हैं।’ केंद्र ने अदालत के समक्ष अपने जवाब में कहा कि जम्मू-कश्मीर में कानून व्यवस्था की बहाली के लिए तैनात सीआरपीएफकर्मी अनुभवी हैं और दंगा-रोधी उपकरण का इस्तेमाल करने के लिए पूरी तरह प्रशिक्षित हैं।
हालांकि, पीठ ने कहा कि जहां सरकार कह रही है कि सीआरपीएफ पैलट गन का इस्तेमाल करने के लिए पूरी तरह प्रशिक्षित हैं, वहीं जमीनी हालात बिल्कुल अलग हैं।
अदालत ने कहा, ‘इस संदर्भ में यह कहा गया था कि आप अदालत को सूचना दें। इसका कारण था कि लोगों को घुटने के ऊपर और उनकी आंखों में चोटें आईं। देखिए, आप भीड़ को नियंत्रित कर रहे हैं, वैसा करने में आपको अपने ही मानक संचालन प्रक्रिया का पालन करना है।’ अदालत ने कहा, ‘यह सब कागज पर है कि आप प्रशिक्षित हैं, आप इस गन को चलाने के लिए फिट हैं, लेकिन जमीनी हालात अलग है क्योंकि राज्य सरकार ने पैलट गन के इस्तेमाल की वजह से लोगों को चोट के संबंध में रिपोर्ट सौंपी है।’ अदालत ने कहा कि राज्य पैलट गन का इस्तेमाल करके खुद अपने लिए समस्या खड़ी कर रहा है और अदालत ने उससे इसके इस्तेमाल पर सचेत फैसला करने को कहा।
पीठ ने सरकार से गृह मंत्री राजनाथ सिंह के संसद में दिए गए बयान के आलोक में पैलट गन के इस्तेमाल के बारे में पुनर्विचार करने को कहा और उससे भीड़ पर नियंत्रण करने का वैकल्पिक तरीका ढूंढने को कहा। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख नौ अगस्त को निर्धारित कर दी।